Verification: भोपाल: राजधानी भोपाल में बच्चों से छेड़छाड़ और दुष्कर्म के बढ़ते मामलों को देखते हुए शिक्षकों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन इस आदेश के बावजूद 95 फीसदी निजी स्कूलों ने पुलिस वेरिफिकेशन की रिपोर्ट जिला शिक्षा विभाग को नहीं सौंपी है। इससे यह साफ हो गया है कि राजधानी के स्कूलों में हजारों शिक्षक बिना सत्यापन के बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, भोपाल में करीब 1200 निजी स्कूल हैं जिनमें 4 से 5 हजार शिक्षक और स्टाफ कार्यरत हैं। लेकिन शिक्षा विभाग के पास करीब 4 हजार शिक्षकों की जानकारी नहीं है।
दुष्कर्म के मामले के बाद आया था आदेश
पिछले वर्ष एक निजी स्कूल में नाबालिग से दुष्कर्म की घटना के सामने आने के बाद, स्कूल शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से सभी निजी स्कूलों में शिक्षक व स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया था। विभाग ने तीन दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अधिकांश स्कूलों ने इसका पालन नहीं किया।
शिक्षा विभाग करेगा औचक निरीक्षण
इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र अहिरवार ने कहा:
“निजी स्कूलों में स्टाफ समेत सभी शिक्षकों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य है। कितने शिक्षकों का सत्यापन हुआ है, इसकी रिपोर्ट हमें नहीं मिली है। ऐसे में अब स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जाएगा। यदि कहीं सत्यापन नहीं हुआ पाया गया तो संबंधित स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
बच्चों की सुरक्षा पर सवाल
पुलिस वेरिफिकेशन जैसे महत्वपूर्ण कदम की अनदेखी ने न सिर्फ शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को भी जोखिम में डाल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक शिक्षकों की पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य रूप से लागू नहीं की जाएगी, तब तक ऐसे मामलों पर प्रभावी रोक नहीं लगाई जा सकती।
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