Water crisis:काबुल. — अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने कुनार नदी पर एक नया डैम बनाने की योजना की पुष्टि की है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले जल प्रवाह में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। इस परियोजना का उद्देश्य देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना है, लेकिन इससे क्षेत्रीय जल विवादों के और बढ़ने की संभावना है।
🔹 डैम परियोजना के मुख्य बिंदु
- स्थान: कुनार नदी, जो हिंदू कुश पर्वतों से निकलती है और पाकिस्तान में काबुल नदी में मिलती है।
- क्षमता: 45 मेगावाट बिजली उत्पादन और लगभग 1.5 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई।
- स्थिति: सर्वेक्षण और डिज़ाइन कार्य पूर्ण; निर्माण के लिए धन की आवश्यकता।
- लाभ: ऊर्जा संकट का समाधान, कृषि उत्पादन में वृद्धि, जल सुरक्षा सुनिश्चित करना।
तालिबान सरकार के जल और ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता मतीउल्लाह आबिद ने बताया कि परियोजना का सर्वेक्षण और डिज़ाइन कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन निर्माण के लिए धन की आवश्यकता है।
🔹 पाकिस्तान की चिंता
कुनार नदी, जो 480 किलोमीटर लंबी है, अफगानिस्तान से निकलकर पाकिस्तान में काबुल नदी में मिलती है, जो पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस डैम के निर्माण से काबुल नदी के जल प्रवाह में 16-17% तक की कमी आ सकती है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच काबुल नदी और इसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक द्विपक्षीय समझौता नहीं है, जिससे इस तरह की परियोजनाएं विवाद का कारण बन सकती हैं।
🔹 भारत की भूमिका
भारत ने अफगानिस्तान में शहतूत और सलमा डैम जैसे परियोजनाओं में वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है। शहतूत डैम परियोजना, जिसकी लागत लगभग $236 मिलियन है, काबुल शहर को पीने का पानी और 4,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई प्रदान करेगी। हाल ही में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के विदेश मंत्री से फोन पर बात की, जिसमें शहतूत डैम परियोजना को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई।
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