Water enrichment: भोपाल | प्रदेश में पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में एक और पहल करते हुए मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सोमवार को अपने निवास कार्यालय पर जन अभियान परिषद द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘बूंद सहेजे बावड़ी’ का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “यह पुस्तक केवल दस्तावेज नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो प्रदेश की प्राचीन बावड़ियों के संरक्षण और स्वच्छ जल के पुनर्प्राप्ति की दिशा में प्रेरणा देगी।”
🏛️ बावड़ियाँ: जल-संस्कृति की विरासत
उपमुख्यमंत्री देवड़ा ने कहा कि बावड़ियाँ हमारी प्राचीन जल धरोहर हैं, जो सदियों से जल संरक्षण की आधारशिला रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान जल संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए इन पारंपरिक स्रोतों को पुनर्जीवित करना अनिवार्य है।
उन्होंने जन अभियान परिषद की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि, “यह पुस्तक प्रदेशवासियों को न केवल जल संरक्षण के प्रति जागरूक करेगी, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बावड़ियों के महत्व को रेखांकित करेगी।”
👥 जनभागीदारी से बदल रही तस्वीर
देवड़ा ने बताया कि जन अभियान परिषद द्वारा जनभागीदारी के माध्यम से प्रदेशभर में बावड़ियों के संरक्षण और पुनरुद्धार का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने इस अभियान को “जन-जागरण का प्रतीक” बताते हुए कहा कि “जल ही जीवन है, इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।”
📘 ‘बूंद सहेजे बावड़ी’ पुस्तक की विशेषताएँ:
- प्रदेश की प्रमुख बावड़ियों का दस्तावेजीकरण
- बावड़ियों के सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक पहलुओं का वर्णन
- जल संरक्षण हेतु जनसहभागिता के उदाहरण
🎤 उपस्थित गणमान्य
इस अवसर पर जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर एवं निदेशक डॉ. बकुल लाड़ भी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में जल संवर्धन हेतु सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता बताई।
“बावड़ियाँ हमारी जड़ों से जोड़ने वाली कड़ी हैं। इन्हें संरक्षित करना आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जरूरी धरोहर बचाने जैसा है।”
— जगदीश देवड़ा, उपमुख्यमंत्री, मध्यप्रदेशसाभार…
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