Wheels: पुरी/नई दिल्ली। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की वार्षिक रथ यात्रा में उपयोग किए गए तीनों रथों के पवित्र पहिये अब संसद परिसर में स्थापित किए जाएंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने बताया कि संसद भवन में रथों के तीन पहियों (नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन के एक-एक पहिये) को विरासत स्वरूप स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कदम ओडिशा की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करेगा।
मंदिर सेवकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। देवापति सेवक बिनायक दास महापात्र ने कहा कि संसद परिसर में रथ चक्र की स्थापना जगन्नाथ संस्कृति के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक कदम साबित होगी। सेवायत गौरहरि प्रधान ने कहा, “महाप्रभु के रथ चक्र संसद में रखे जाएंगे तो देशभर के लोग जगन्नाथ संस्कृति से परिचित होंगे।”
परंपरा के अनुसार, हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए 42 नए पहिये (नंदीघोष-16, तालध्वज-14 और दर्पदलन-12) बनाए जाते हैं। रथ यात्रा के बाद पुराने पहियों को भक्त खरीद सकते हैं। इस वर्ष नंदीघोष रथ के एक पहिये की कीमत 3 लाख, तालध्वज का 2 लाख और दर्पदलन का 1.5 लाख रुपये तय की गई है।
विशेष बात यह है कि रथों की लकड़ी को महाप्रभु का अंग माना जाता है। यही कारण है कि संसद भवन में स्थापित होने वाले ये पहिये न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक होंगे बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर के स्थायी प्रतीक के रूप में भी पहचाने जाएंगे।
साभार…
Leave a comment