Wind Turbine: नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उत्पादन और नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक नई पहल की घोषणा की है। रेलवे जल्द ही देशभर में रेलवे पटरियों के किनारे विंड टरबाइन स्थापित करने जा रही है।
कैसे काम करेंगे विंड टरबाइन?
जब ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से दौड़ती है, तो उसके द्वारा उत्पन्न हवा विंड टरबाइन के पंखों को तेजी से घुमाएगी। इससे बड़ी मात्रा में पवन ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिसे रेलवे द्वारा उपयोग में लाया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता:
- 2023 में पश्चिम रेलवे ने वर्टिकल एक्सिस टरबाइन के माध्यम से 110 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया।
- यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा। पश्चिम रेलवे ने अपने जोन में 5 टरबाइन स्थापित किए थे, जिन्होंने ऊर्जा उत्पादन में बेहतर परिणाम दिए।
2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य:
भारतीय रेलवे ने 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में, रेलवे ट्रैक के किनारे बड़े पैमाने पर विंड टरबाइन लगाए जाएंगे, जो स्थायी और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
भविष्य की योजना:
रेलवे की यह पहल देश में हरित ऊर्जा क्रांति लाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा लागत में कमी के लिए एक बड़ा कदम साबित होगी। रेलवे पटरियों पर यह तकनीक जल्द ही पूरे देश में लागू की जाएगी।
उपलब्धि की ओर बढ़ता रेलवे:
यह परियोजना भारतीय रेलवे के पर्यावरणीय लक्ष्यों और हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
source internet… साभार….
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