Worrying: नई दिल्ली। भारत में हर साल सर्जरी के बाद औसतन 15 लाख मरीज सर्जिकल साइट इंफेक्शन (एसएसआई) का शिकार हो रहे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी के दौरान लगाए गए चीरे में बैक्टीरिया घुसकर संक्रमण पैदा कर देते हैं, जिससे मरीजों की सेहत को गंभीर खतरा होता है।
एसएसआई के आंकड़े और स्थिति
- भारत में सर्जरी के बाद संक्रमण दर 5.2 प्रतिशत है, जो कई विकसित देशों की तुलना में अधिक है।
- ऑर्थोपेडिक सर्जरी के मामलों में यह दर 54.2 प्रतिशत तक पहुंच जाती है, जो बेहद चिंताजनक है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- सर्जरी का समय और संक्रमण का खतरा:
- सर्जरी 120 मिनट (2 घंटे) से अधिक समय तक चलने पर एसएसआई का खतरा बढ़ जाता है।
- डिस्चार्ज के बाद संक्रमण की पहचान:
- 66 प्रतिशत मामलों में, संक्रमण का पता मरीजों के अस्पताल छोड़ने के बाद चला।
- इससे यह स्पष्ट होता है कि डिस्चार्ज के बाद मरीजों की निगरानी आवश्यक है।
अध्ययन और साक्ष्य
आईसीएमआर ने एम्स दिल्ली, कस्तूरबा अस्पताल मणिपाल और टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई के 3,090 मरीजों पर यह अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि सर्जरी के बाद कुल 161 मरीज (5.2 प्रतिशत) एसएसआई से प्रभावित हुए।
एसएसआई से बचाव के प्रयास
- आईसीएमआर ने एसएसआई निगरानी नेटवर्क लॉन्च किया है।
- इसका उद्देश्य डॉक्टरों को संक्रमण रोकने में सहायता प्रदान करना है।
- यह नेटवर्क संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए दिशानिर्देश और समाधान प्रदान करता है।
एसएसआई से बचाव के उपाय
- सर्जरी के दौरान स्वच्छता:
- ऑपरेशन थिएटर में एंटीसेप्टिक और स्टरलाइजेशन का सख्ती से पालन।
- डिस्चार्ज के बाद निगरानी:
- सर्जरी के बाद मरीजों का नियमित चेकअप और संक्रमण के लक्षणों पर ध्यान देना।
- शिक्षा और जागरूकता:
- अस्पतालों और स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण नियंत्रण के तरीकों पर प्रशिक्षित करना।
भारत में सर्जिकल साइट इंफेक्शन की बढ़ती दर गंभीर चिंता का विषय है। इसे रोकने के लिए सर्जरी से जुड़े प्रोटोकॉल में सुधार और मरीजों की डिस्चार्ज के बाद नियमित निगरानी आवश्यक है। आईसीएमआर की पहल इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक जागरूकता और संसाधनों की आवश्यकता है।
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