Success Story – बिहार के एक किसान ने बताया कि अभी रासायनिक खाद 40 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि जैविक उर्वरक खाद की कीमत महज 6 रुपये किलो ही है। कीटनाशकों और रासायनिक खादों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होती जा रही है। इससे खेत बंजर हो रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से जैविक उर्वरकों की मांग बढ़ गई है। लोग जैविक खाद के लिए मोटी रकम तक खर्च करने को तैयार है |
लेकिन फिर भी इसके बावजूद किसानों को समय पर ऑर्गेनिक खाद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में बेगूसराय के एक किसान ने जैविक तकनीकी से खेती करने वाले किसानों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। वे किसानों को उचित मूल्यों पर जैविक तकनीकी से खेती करने वाले किसानों को ऑर्गेनिक खाद उपलब्ध करा रहे हैं।
सैकड़ो किसान सीख रहे जैविक खेती करने के गुर | Success Story
अच्छी बात यह है कि जैविक खाद के लिए एडवांस में उनके पास ऑर्डर पहुंच जाते हैं। खास बात यह है कि किसानों को जैविक तकनीकी से खेती करने की प्रशिक्षण भी देते हैं। अभी तक वे अपने गांव के सैकड़ों किसानों को जैविक तकनीकी से खेती करने का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। ऐसे मुनिलाल महतो भी जैविक तकनीकी से ही खेती करते है। साल 2013 से वे पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती ही कर रहे हैं। इससे उनकी कमाई में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हो गई है।
जैविक खेती करने से किसान हुए मालामाल – Success Story
जैविक तकनीकी से उपजाए गए उत्पादों का अच्छा खासा रेट अच्छा मिल जाता है वहीं, जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के गोपालपुर पंचायत के किसानो ने भी यही प्रेरणा लेकर जैविक खेती शुरू की। इससे उनकी भी इनकम बढ़ गई। किसान प्रमोद महतो ने कहा कि आज वे वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के साथ- साथ फ्लाईश खाद का भी उत्पादन कर रहे हैं। जैविक तकनीकी से उपजाए गए उत्पाद का रेट अच्छा मिल जाता है। इससे किसान अब धीरे-धीरे जैविक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
रासायनिक खाद 40 रुपये किलो बिक रही है
बिहार के किसानों के मुताबिक, बाजार में अभी भी रासायनिक खाद 40 रुपये किलो बिक रही है, जबकि जैविक उर्वरक की कीमत महज 6 रुपये किलो ही है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद का उपयोग करने से फसलों को 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। और वहीं, जैविक तकनीकी से उपजाए गए फसलों को सिर्फ 3 ही बार पानी देने की आवश्यकता पड़ती है।
बिहार के किसान सिर्फ जैविक खाद का उपयोग करते है | Success Story
अभी बिहार के एक किसान के पास दो गायें हैं। इनके गोबर से वे जैविक खाद तैयार करते हैं। और अपने 2 एकड़ की जमीन पर वे जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं। साथ ही बचे हुए जैविक खाद को वे बाजार में बेच देते हैं, जिससे उन्हें साल में 60 – 70 हजार रुपये की आमदनी होती है। और सबसे अच्छी बात यह है कि ये किसान कीटनाश दवा के रूप में सिर्फ गोमूत्र का ही उपयोग करते हैं। इससे फसलों को भी किसी तरह का कोई भी नुकसान नहीं होता है।
Source – Internet
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