Mauni Amavasya: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, और माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, और पितरों का तर्पण करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
मौनी अमावस्या 2025 की तिथि और समय
- शुरुआत: 28 जनवरी, रात 7:35 बजे
- समाप्ति: 29 जनवरी, शाम 6:05 बजे
- उदया तिथि के अनुसार: 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।
विशेष महत्व
- पवित्र स्नान और महाकुंभ:
- इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ हो रहा है, जो 144 वर्षों के बाद विशेष योग में आयोजित हुआ है।
- मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान से सभी पापों का नाश होता है।
- यदि गंगा नदी तक न पहुंच पाएं, तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है।
- पितरों का तर्पण:
- काले तिल से तर्पण और पितृ दोष निवारण के लिए यह तिथि उत्तम है।
- इस दिन पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
- दान का महत्व:
- दान-पुण्य इस दिन का मुख्य हिस्सा है।
- जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े, और दक्षिणा देने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
मंदिरों और तैयारियां
- शहर के प्रमुख मंदिरों जैसे श्रीजी मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर, और श्रीराम मंदिर में पूजा-अर्चना की विशेष तैयारियां की जा रही हैं।
- मंदिर समितियों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए बैठने, पानी, और दान की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
- जरूरतमंदों को गर्म कपड़े और अन्य आवश्यक सामग्री दान करने की योजना है।
धार्मिक मान्यताएं और फल
- इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पण और संगम में स्नान करने का फल अश्वमेध यज्ञ के समान है।
- माना जाता है कि भगवान विष्णु का वास पवित्र नदियों में होता है।
ध्यान दें: अगर संगम स्नान संभव न हो, तो घर में नहाने के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें। यह भी उतना ही फलदायक होगा। मौनी अमावस्या का यह दिन आत्मिक शांति, पितरों की संतुष्टि और धार्मिक फल प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
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