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Campaign: इन किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाई बिजली

खेतों के बीच लगे हैं कई हाईटेंशन

खेतों के बीच लगे हैं कई हाईटेंशन लाइन के पोल

Campaign: बैतूल। खमालपुर क्षेत्र के कई किसान लंबे समय से बिजली आने के इंतजार में है लेकिन उनके खेतों तक कई पीढिय़ां बदल जाने के बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई है। जबकि इन्हीं किसानों के खेतों के बीच से 132 केव्ही लाइन के पोल गढ़े हुए हैं। और इन पोलों के कारण कुछ किसानों को पोल के आसपास के भाग में खेती करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। बताया जाता है कि वन विभाग का अनापत्ति प्रमाण ना मिलने के कारण खमालपुर ग्राम से हनुमान डोल के मध्य दो किमी. तक विद्युतीकरण का कार्य नहीं हो पा रहा है।


132 केवी के लिए तो मिली थी एनओसी


132 केवी की लाइन के लिए वन विभाग ने वन क्षेत्र में अनापत्ति प्रमाण दिया था। 132 के पोल के लिए कई बड़े पेड़ काटे गए होंगे। जब इस लाइन के लिए वन विभाग एनओसी जारी कर सकता है तो किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचाने के लिए 11 केवी की लाइन के लिए अनुमति क्यों नहीं मिल सकती है? इस 11 केवी लाइन पर ट्रांसफार्मर स्थापित कर एलटी कनेक्शन किसानों को दिए जा सकते हैं। विद्युत विभाग का एक टॉवर तो आदिवासी की भूमि पर लगा हुआ है। लेकिन ये सब किसान कृषि कार्य के लिए विद्युत कनेक्शन से मोहताज हैं। खमालपुर से हनुमान डोल के मध्य 2 किमी. के मार्ग में 11 केवी के पोल खड़े करने के लिए वृक्ष काटने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। यह मौके पर जाकर देखा जा सकता है।


भीमपुर क्षेत्र में समस्या का हो चुका निराकरण


आदिवासी क्षेत्र भीमपुर ब्लाक में भी कई गांव में फारेस्ट की एनओसी नहीं मिलने के कारण सैकड़ों किसान (बहुसंख्यक आदिवासी) विद्युत कनेक्शन से वंचित थे क्योंकि इस क्षेत्र में बिजली पहुंचाने के लिए जंगलों में कई पेड़ काटने पड़ रहे थे। लगभग 33 वर्ष पूर्व 1991-92 में इन घने जंगलों में फारेस्ट की एनओसी मिलने के बाद विद्युतीकरण हुआ। दामजीपुरा क्षेत्र में बेहड़ा, चकढाना, नांदा और पाट ऐसे ही कुछ गांव है जिन्हें उस समय विद्युतीकरण की सुविधा प्राप्त हुई। लोगों का कहना है कि जब घने जंगल के क्षेत्र में वन विभाग एनओसी दे सकता है तो जिला मुख्यालय से 12 किमी. दूर पर स्थित इस क्षेत्र से भेदभाव क्यों किया जा रहा है।


कनेक्शन से वंचित है ये किसान


क्षेत्र के सैकड़ों किसानों में प्रमुख रूप से जंगू सिंह पिता छोटे लाल कोरकू की खसरा नं.11/1, 17/1, 50/1, 52/1, 56/1, 102/1, 114/1, 127/1, 130/1, 145/1, 146/1, 148/1, 149/1 एवं 150/1 भूमि है। जिनमें से अधिकांश भूमि विद्युत व्यवस्था से बाहर है। इसी तरह से रमेश जियालाल कोरकू, सुंदरबाई कोरकू, सुशीला कोरकू, रामप्यारी कोरकू, धरमती कोरकू, गोलू श्यामराव कोरकू, राधा कोरकू, श्यामबाई कोरकू एवं बाजीलाल कोरकू की खसरा 4, 19, 48, 55, 59, 63, 81, 89, 90, 92, 105, 115 एवं 119 नं. की भूमि है।
सुनीति पिता चुन्नूलाल कोरकू की भी खसरा 84 एवं 124 नं. की भूमि है। मुंशी पिता सुरजू कोरकू की खसरा नं. 67 एवं 72 की भूमि है। सुंदरलाल कोरकू, शकुंतला कोरकू एवं रामकिशोर कोरकू की भी खसरा नं. 76, 78 एवं 88 नं. की भूमि है। आदिवासियों के अलावा अन्य समाज में खसरा नं. 73 की भूमि यशोदा गुलाबराव पंवार की है।

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