दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया तट पर होगा स्प्लैशडाउन
Space: नई दिल्ली | भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित चार अंतरिक्ष यात्री आज अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट रहे हैं। उनका क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट आज दोपहर करीब 3 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिका के कैलिफोर्निया तट पर स्प्लैशडाउन करेगा। यह वापसी अंतरिक्ष अनुसंधान और भारत के गगनयान मिशन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।
🔹 263 किलो वैज्ञानिक कार्गो के साथ हो रही वापसी
शुभांशु शुक्ला और उनके सहयोगी 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से रवाना हुए थे। वे अपने साथ 263 किलो से अधिक महत्वपूर्ण सामग्री लेकर लौट रहे हैं, जिसमें 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों का डेटा, नासा का हार्डवेयर, और प्रयोगशाला सैंपल्स शामिल हैं। यह डेटा वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है।
🔹 मिशन में भारत का गौरवशाली प्रतिनिधित्व
शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के अधिकारी, अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और ISS तक पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत स्पेस मिशन का हिस्सा बने थे। इस मिशन में भारत ने एक्सियम स्पेस को एक सीट के लिए 548 करोड़ रुपये चुकाए हैं।
🔹 अंतरिक्ष में 60 वैज्ञानिक प्रयोग, भारत के 7 शामिल
मिशन के दौरान शुभांशु ने 60 वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया, जिनमें से 7 भारत के थे:
- अंतरिक्ष में मेथी और मूंग उगाने का प्रयोग
- स्पेस माइक्रोएल्गी पर रिसर्च
- हड्डियों की मजबूती और मसल लॉस पर अध्ययन
- जीरो ग्रैविटी में जीवन प्रणाली पर प्रभाव का अध्ययन
🔹 प्रधानमंत्री से संवाद और छात्रों को किया प्रेरित
- 28 जून को, शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया और बताया कि “अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखता है।”
- 3, 4 और 8 जुलाई को उन्होंने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के 500 से अधिक छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से संवाद किया और STEM क्षेत्र में करियर की प्रेरणा दी।
- 6 जुलाई को उन्होंने ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और वैज्ञानिकों के साथ भी चर्चा की।
🔹 गगनयान मिशन की राह तैयार
शुभांशु का यह मिशन भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। गगनयान मिशन 2027 में प्रस्तावित है, जिसके तहत भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।
🔹 स्प्लैशडाउन से पहले तापमान 2,500°C तक
क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट जब पृथ्वी के वातावरण में रीएंटर करेगा, तब उसका बाहरी तापमान करीब 2,500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। इसके बाद यह पैसिफिक ओशन में एक सटीक लोकेशन पर उतरेगा, जहां रिकवरी टीम उन्हें रिसीव करेगी।
🔹 एक्सियम-4 मिशन: अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का परिणाम
यह मिशन अमेरिकी निजी कंपनी Axiom Space, NASA, SpaceX और ISRO की साझेदारी से संभव हो सका है। एक्सियम स्पेस के अब तक चार मिशन हो चुके हैं और यह उसका चौथा क्रू मिशन था। शुभांशु की भागीदारी ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर एक नई पहचान दिलाई है।
🔹 इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS): अंतरिक्ष प्रयोगों की प्रयोगशाला
ISS पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर स्थित एक शोध केंद्र है, जो हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह 5 देशों (अमेरिका, रूस, जापान, यूरोप और कनाडा) की संयुक्त परियोजना है, जहां वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी में प्रयोग करते हैं।
निष्कर्ष: भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ती ताकत और वैश्विक मान्यता का प्रतीक है। यह मिशन भारत के युवा वैज्ञानिकों और छात्रों को प्रेरणा देने के साथ-साथ गगनयान जैसे मिशनों के लिए रास्ता साफ करता है।
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