Innovation: इंदौर | कभी आलू, गेहूं, सोयाबीन और प्याज की पारंपरिक खेती के लिए पहचाना जाने वाला मालवा अंचल, अब फूलों की महक से गुलजार हो रहा है। मध्य प्रदेश, विशेषकर इंदौर क्षेत्र के किसान अब फूलों की व्यवसायिक खेती को अपनाकर नए आर्थिक अवसरों की ओर बढ़ रहे हैं। इसका असर इतना व्यापक है कि प्रदेश अब देश में फूल उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है।
🌼 फूलों का रकबा 5000 हेक्टेयर पार
इंदौर जिले के तेजाजी नगर, रालामंडल, हरसोला, कैलोद और करताल जैसे क्षेत्रों में फूलों की खेती का रकबा 4768 हेक्टेयर से बढ़कर 5000 हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। यहां गेंदा, गुलाब, जरबेरा, सेवंती, ग्लैडुलस और रजनीगंधा जैसे फूलों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये फूल अब न केवल देश के प्रमुख शहरों में, बल्कि विदेशों में भी भेजे जा रहे हैं।
✈️ गुलाब के कट फ्लावर की पेरिस और लंदन तक पहुंच
इंदौर और गुना में उगने वाले गुलाब, गेंदा, मोगरा, जूही और कांगड़ा के फूल अहमदाबाद, जयपुर, सूरत, कानपुर, कोटा जैसे शहरों के अलावा अब पेरिस और लंदन तक एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। इससे किसानों को सीधा आर्थिक लाभ हो रहा है और फूलों की खेती को नए बाजार मिल रहे हैं।
📈 फूलों का उत्पादन चार वर्षों में हुआ दोगुना
- 2021-22 में उत्पादन: 37,648 टन
 - 2024-25 में उत्पादन: 5,12,914 टन (रिकॉर्ड स्तर)
 - 2024-25 में ताजा उत्पादन: 86,294 टन
 - प्रति हेक्टेयर उत्पादकता: 15.01 मैट्रिक टन
 
जलवायु अनुकूलता, मिट्टी की गुणवत्ता, और सिंचाई सुविधाओं में सुधार ने किसानों को पारंपरिक खेती छोड़ उद्यानिकी फसलों की ओर मोड़ा है। छोटे और सीमांत किसान इस बदलाव से दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं।
📊 इंदौर में प्रमुख फूलों का रकबा (हेक्टेयर में)
| फूल | रकबा (हेक्टेयर) | 
|---|---|
| गेंदा | 24,214 | 
| गुलाब | 4,502 | 
| सेवंती | 17,009 | 
| ग्लैडुलस | 1,058 | 
| रजनीगंधा | 263 | 
| अन्य फूल | 11,227 | 
🌱 ग्वालियर में बनेगी हाईटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी
फूल उत्पादन को और वैज्ञानिक बनाने के लिए ग्वालियर में 13 करोड़ रुपये की लागत से हाईटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी तैयार की जा रही है। यह नर्सरी:
- फूलों की उन्नत किस्में विकसित करेगी
 - किसानों को प्रशिक्षण देगी
 - उत्पादन बढ़ाने के लिए नवीन तकनीकों पर शोध करेगी
 
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि कुल उद्यानिकी फसलों में 33% से अधिक भाग फूलों को मिले।
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