Wednesday , 17 September 2025
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Controversy: कांवड़ यात्रा मार्ग पर क्यूआर कोड विवाद: सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को राहत

कांवड़ यात्रा मार्ग पर क्यूआर कोड

Controversy: नई दिल्ली | कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों और दुकानों पर क्यूआर कोड अनिवार्य करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह फिलहाल क्यूआर कोड के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा और मुख्य याचिका पर सुनवाई के दौरान ही इस विषय पर विचार किया जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह जरूर निर्देश दिया कि सभी होटल और भोजनालय मालिक अपने लाइसेंस व पंजीकरण प्रमाण-पत्र स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें।


⚖️ क्या है मामला?

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी खाद्य प्रतिष्ठानों को निर्देशित किया था कि वे दुकानों के बाहर—

  • क्यूआर कोड स्टीकर लगाएं
  • बैनर लगाकर दुकान मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित करें

इस आदेश को लेकर कई पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ताओं में प्रोफेसर अपूर्वानंद झा, एपीसीआर (एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स), टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत अन्य शामिल हैं।


🚨 याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह आदेश—

  • निजता के अधिकार का उल्लंघन है
  • दुकानदारों की पहचान उजागर करने से भेदभाव और बहिष्कार को बढ़ावा मिलेगा
  • यह कांवड़ यात्रियों को विशेष दुकानों को निशाना बनाने का संकेत हो सकता है
  • इससे भीड़ हिंसा और सांप्रदायिक तनाव की आशंका बढ़ जाती है, विशेषकर अल्पसंख्यक दुकानदारों के खिलाफ

🏛️ पिछला संदर्भ

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों के ऐसे ही आदेशों पर स्थगन (स्टे) दे दिया था। इसी आधार पर उन्होंने फिर से तत्काल रोक की मांग की थी।

हालांकि, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने फिलहाल केवल राज्य सरकारों से जवाब दाखिल करने को कहा है और कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई।


📌 क्या रहा कोर्ट का रुख?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

“अभी हम क्यूआर कोड की अनिवार्यता पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। यह विषय मुख्य याचिका के निपटारे के दौरान उठाया जा सकता है।”


📍 अगली सुनवाई और असर

मामला फिलहाल लंबित है और आगे की सुनवाई में ही स्पष्ट होगा कि अदालत इस पर क्या अंतिम निर्णय लेती है। हालांकि, फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश लागू रहेगा, जब तक कि कोर्ट कोई अलग आदेश नहीं देता।

sabhar…

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