आधुनिकता की चकाचौंध से परे हुआ आयोजन
Events: सारनी। वर्तमान समय में शादी-विवाह पर लोग अत्यधिक राशि खर्च करते हैं जिससे ऐसे लोगों में हीन भावना आती है जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है। आज जिसे देखो वही चकाचौंध की जिंदगी जीने को ललायित होते हैं। ऐसे में यदि कोई बैलगाड़ी से सादगीपूर्ण बारात निकालकर कुल 51 हजार रुपए में पूरी शादी संपन्न करा देते तो निश्चित रूप से प्रशंसा होना लाजमी हो जाता है।
बिना दान-दहेज के हुआ विवाह
ऐसा ही विवाह घोड़ाडोंगरी मुख्यालय से 9 किलोमीटर की दूर कुही गांव के चिखलाढाना में कल संपन्न हुआ। विवाह बिना दान दहेज के कराया गया। यह विवाह आदिवासी परंपरा के अनुरूप किया गया। इस विवाह में मर्सकोले और बडकड़े परिवार के बीच वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। आदिवासी परंपरागत बैंड पार्टी और बैलगाड़ी से दूल्हे को दुल्हन के आवास तक ले जाने का कार्य किया गया। यह आदिवासी बारात आधुनिकता के इस बयार में जीप, कार, मोटरसाइकिल, डीजे से कोसों दूर रखा गया था। इस बारात में मुख्य बात या रही वैवाहिक कार्यक्रम को आदिवासी समाज के भगत के माध्यम से संपन्न करने का कार्य किया गया इस वैवाहिक कार्यक्रम में ब्राह्मण समाज के पंडितों को भी दूर रखा गया है।
51 हजार में हुआ विवाह
दूल्हे के रिश्तेदार रजनीकांत वटी,शिवराम मर्सकोले ने बताया कि समाज के पांच सौ लोगों को दोनों पक्ष के माध्यम से आमंत्रित करके पूरी परंपरा के अनुरूप उन्हें भोजन करने का कार्य किया गया। समाज के लोगों के माध्यम से स्वेच्छा धनराशि वर- वधु को देने का काम किया गया है। बुंदेल मर्सकोले, जुबलाल भट्टी की बातों को माने तो दोनों पक्ष को मिलाकर यह वैवाहिक कार्यक्रम में कुल 51 हजार रुपए की राशि खर्च होना बताया जा रहा है। जो अपने आप में एक अनोखी मिसाल का उदाहरण देते दिखाई दे रही है।
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