18 वीं सदी से अब तक की रखी दुर्लभ खेल सामग्री
Museum: इंदौर(ई-न्यूज)। मध्यप्रदेश के इंदौर में पहला क्रिकेट का म्यूजियम बनाया गया है। इस म्यूजियम में 18 वीं सदी से लेकर अब तक के क्रिकेट इतिहास की तमाम घटनाओं और खेल में इस्तेमाल 300 से ज्यादा सामग्रियों को रखा गया है। इस म्यूजियम को मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन और ब्लेड्स ऑफ ग्लोरी क्रिकेट म्यूजियम ने 6 साल में तैयार किया है। इसका उद्घाटन 7 जुलाई को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था। 15 जुलाई से यह लोगों के लिए ओपन कर दिया गया है।
क्रिकेट की बाइबल विजडन के एडिशन भी रखे
इंदौर के होलकर स्टेडियम में बने क्रिकेट म्यूजियम में 18वीं सदी से लेकर 2024 तक का इतिहास है। क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली विजडन मैगजीन के स्पेशल एडिशन भी यहां मौजूद हैं। म्यूजियम में विजडन के 1952 से लेकर अब तक के सभी महत्वपूर्ण एडिशन हैं। यह मैगजीन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को कवर करती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसने पूरी दुनिया के क्रिकेटरों को जगह देनी शुरू कर दी।
डॉन ब्रैडमैन और सचिन का ओरिजनल बैट
इंदौर के म्यूजियम में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सर डॉन ब्रैडमैन और सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट बैट मौजूद हैं। विराट कोहली की वह शर्ट भी यहां है, जिसे पहनकर उन्होंने इंदौर में 211 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज शेन वार्न की शर्ट भी यहां रखी है। सर डॉन ब्रैडमैन ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर थे। उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। ब्रैडमैन ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 99.95 की औसत से रन बनाए हैं। 52 टेस्ट मैचों में उन्होंने 29 शतक लगाए हैं। उस समय वनडे क्रिकेट का चलन नहीं था इसलिए वे वनडे नहीं खेल सके। सौरव गांगुली और कुंबले द्वारा तमाम रिकॉर्ड बनाए जाने के दौरान इस्तेमाल खेल सामग्री भी यहां है।
डेनिस लिली का है एल्यूमीनियम का बैट भी
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी डेनिस लिली एल्यूमीनियम के बैट से खेलते थे। उनका साइन किया एक बैट इंदौर के क्रिकेट म्यूजियम में भी रखा है। डेनिस लिली ने 1979 में इंग्लैंड से मशहूर क्रिकेट सीरीज एशेज के दौरान एल्यूमीनियम का ही बैट इस्तेमाल किया था। इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेयरली ने शिकायत करते हुए कहा कि इस बल्ले की वजह से गेंद का आकार बिगड़ रहा है। अंपायर ने डेनिस लिली को समझाया कि इससे गेंद खराब हो रही है लेकिन लिली इसी बैट से खेलने पर अड़े रहे। आईसीसी को बदलना पड़ा नियम दरअसल, उस समय आईसीसी का ऐसा कोई नियम नहीं था कि बल्ला सिर्फ लकड़ी का हो इसलिए डेनिस लिली ने एल्यूमीनियम का बैट बनवा लिया था। वे इसी से खेला करते थे। इस मैच में विवाद के बाद आईसीसी ने नया नियम बनाया। इसके तहत बल्लेबाज सिर्फ लकड़ी का बैट ही इस्तेमाल कर सकता है।
किताबें और फोटो भी खास आकर्षण
क्रिकेट पर लिखी गई तमाम पुस्तकें और खींचे गए फोटो भी इस म्यूजियम का खास आकर्षण हैं। वर्ल्ड क्रिकेट और रणजी चैंपियंस ने जिन बल्लों से यादगार पारियां खेली हैं, शतक लगाने के बाद जिन हेलमेट को चूमा, जिन कपड़ों से आज भी उनके परिश्रम की महक आती है, वो सब इस म्यूजियम में देखे जा सकते हैं। विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी की टी-शर्ट, आवेश खान के शूज, रजत पाटीदार और वेंकटेश अय्यर के बैट भी म्यूजियम में रखे गए हैं।
नायडू का लोहे का 30 किलो का किट बैग
म्यूजियम में घुसते ही कर्नल सीके नायडू का स्टैच्यू नजर आता है। इसके पास रखा है 30 किलो वजनी लोहे का किट बैग। इसे उठाने के लिए दो लोगों की मदद लेनी पड़ती थी। उनके पुराने बैट, कोट और अन्य सामग्री भी यहां संभालकर रखी गई हैं। कपिल देव का मंगूस बैट भी यहां है, जिससे उन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप में बल्लेबाजी की थी। इसी बल्ले से कपिल ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी।
1986 में स्टंप का ओरिजनल टुकड़ा भी
म्यूजियम में 1986 में चेन्नई में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए टाई टेस्ट के बाद उसी मैदान पर 2001 में खेले गए री-मैच में इस्तेमाल स्टंप का टुकड़ा भी रखा गया है। 2008 में टूटा सुरेश रैना का बैट भी इस संग्रह का हिस्सा है।
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