गुरुकुल शिक्षा, आरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण और अखंड भारत पर रखे विचार
Idea: नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि देश में जनसांख्यिकीय असंतुलन के पीछे धर्मांतरण और अवैध प्रवास मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन समाज को भी इसमें अपनी भूमिका निभानी होगी। भागवत ने स्पष्ट कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन इसमें प्रलोभन या दबाव नहीं होना चाहिए।
गुरुकुल शिक्षा और परंपरा पर जोर
संघ प्रमुख ने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने की वकालत की। उन्होंने कहा कि गुरुकुल का मतलब आश्रम में रहना नहीं, बल्कि परंपराओं और मूल्यों को समझना है। संस्कृत को अनिवार्य करने की वकालत न करते हुए भी उन्होंने कहा कि वैदिक काल के 64 पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने फिनलैंड के शिक्षा मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
रिटायरमेंट पर यू-टर्न
भागवत ने 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट के मुद्दे पर कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा। संघ में काम हमें दिया जाता है, और जब तक संघ चाहेगा, तब तक काम करना होगा।”
नई शिक्षा नीति की सराहना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को सही दिशा में कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि अतीत में शिक्षा प्रणाली विदेशी शासकों ने शासन के उद्देश्य से बनाई थी। अब आज़ादी के बाद हमें शिक्षा को लोगों के विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
आरक्षण पर बयान
मोहन भागवत ने कहा कि संघ संविधान प्रदत्त आरक्षण का समर्थन करता है। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय का दृष्टिकोण दोहराते हुए कहा कि जो लोग ऊपर हैं उन्हें नीचे वालों को ऊपर खींचने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
संस्कृति और अंग्रेजी
भागवत ने कहा कि अंग्रेजी सीखने में कोई आपत्ति नहीं, लेकिन अपनी संस्कृति और भाषा को नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि “ओलिवर को पढ़ें लेकिन प्रेमचंद को न पढ़ें, यह सही परंपरा नहीं है।”
जनसंख्या पर सुझाव
संघ प्रमुख ने कहा कि सभी भारतीय नागरिकों को तीन बच्चों तक सीमित रहने पर विचार करना चाहिए। उनके मुताबिक, तीन बच्चे परिवार और समाज के लिए संतुलनकारी साबित होते हैं।
अखंड भारत और मुस्लिम समाज पर संदेश
मोहन भागवत ने कहा कि भारत अखंड है और रहेगा। उन्होंने कहा कि संघ मुस्लिमों के विरोध में नहीं है, लेकिन आक्रांताओं के नाम पर सड़कें रखना उचित नहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि सड़कों का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तित्वों पर रखा जाए।
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