Beetroot Farming – इस तकनीक से चुकंदर की खेती करें और 3 महीने बाद होगी लाखों रूपए की कमाई चुकंदर औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। इसलिए इसका उपयोग कई तरह की बिमारियों के इलाज में भी किया जाता है। साथ ही इससे कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां भी तैयर जाती हैं। चुकंदर कई बिमारियों के लिए एक रामबाण फल है। इससे कई तरह की बिमारियों में फायदा होता है। इस फल का सेवन खाने खाने के समय सलाद के रूप में करना चाहिए।
हिमोग्लोबिन की कमी को दूर करता चुकंदर | Beetroot Farming
चुकंदर एक औषधिय फल है इसका सेवन करने से शरीर में हो रही खून की कमी को यह फल के खाने से शरीर में खून की कमी से निजात मिलती है । चुकंदर खाना हर किसी को पसंद है। चुकंदर को हर रोज सलाद के रूप में सबसे ज्यादा लोग उपयोग करते हैं।
हालांकि, कई लोग इसका जूस पीना भी पसंद करते हैं। ऐसे चुकंदर में मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी, फोलेट और विटामिन बी 9 अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन करने से शरीर में खून की कमी नहीं होती है। यही वजह है कि बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है। ऐसे में किसान अगर चुकंदर की खेती करते हैं, तो उनकी अच्छी कमाई हो सकते हैं।
चुकंदर का उपयोग कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता
सबसे अच्छी बात यह है कि चुकंदर औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। इसलिए इसका उपयोग कई तरह के रोगों के इलाज में भी किया जाता है। साथ ही इससे कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां भी तैयार की जाती हैं। बाजार में हमेशा चुकंदर की कीमत 30 से 40 रुपये किलो रहती है।
ऐसे में अगर किसान चुकंदर की खेती करने का योजना बना रहे हैं, तो उनके लिए यह एक बहुत अच्छी खबर है। अगर वैज्ञानिक विधि से चुकंदर की खेती की जाए, तो इसकी ज्यादा और अच्छा उत्पाद भी मिलेगा।
एमएसएच 102 की सबसे अच्छी पैदावार चुकंदर | Beetroot Farming
बलुई दोमट मिट्टी में चुकंदर की खेती करने पर अच्छी पैदावार मिलती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पावर ऑफ हाइड्रोजन यानी हाइड्रोजन की शक्ति 6 से 7 के बीच ज्यादा बेहतर माना गया है। वहीं गर्मी, बारिश और सर्दी किसी भी मौसम में इसकी खेती की जा सकती है।
अगर किसान गर्मी के मौसम में चुकंदर की खेती करने का योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले अच्छी किस्मों का चुनाव करें। अर्ली वंडर, मिस्त्र की क्रॉस्बी, डेट्रॉइट डार्क रेड, क्रिमसन ग्लोब, रूबी रानी, रोमनस्काया और एमएसएच 102 चुकंदर की सबसे लोकप्रिय किस्में है। इन किस्मों की खेती करने पर बंपर पैदावार मिलेगी।
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खेत में मेड़ की प्रणाली में पहले 10 इंच ऊंची मेड़ बनाई जाती
चुकंदर की बुवाई करने से पहले खेत की कई बार जुताई की जाती है। फिर 4 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में गोबर की खाद को डालें और उसके बाद पाटा लगाकर जमीन को बराबर कर दें। इसके बाद उसमें क्यारी बनाकर चुकंदर की बुवाई करें।
खास बात यह है कि छिटकवां और मेड़ विधि से चकुंदर की बुवाई की जाती है। अगर आप छिटकवां विधि से बुवाई कर रहे हैं, तो एक एकड़ में 4 किलो बीज की आवश्यकता होगी।
और वहीं, मेड़ बनाने की पद्धति से बुवाई करने से कम बीज की जरूरत पड़ती है। मेड़ की पद्धति में पहले 10 इंच ऊंची मेड़ बनाई जाती है। फिर, मेड़ पर 3 – 3 इंच की दूरी पर बीजों को बोया जाता है।
बुवाई के कुछ ही दिन बाद फसल तैयार हो जाती| Beetroot Farming
चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है। इसलिए समय – समय पर इसकी निराई – गुड़ाई की जाती है। साथ ही आवश्यकता के हिसाब से इसकी सिंचाई भी करनी पड़ती है। बुवाई करने के कुछ ही दिनो के बाद फसल तैयार हो जाती है।
यदि आप अपने एक हेक्टेयर में चुकंदर की खेती कर रखी है तो 300 क्विंटल तक पैदावार आपकों अवश्य ही प्राप्त होगी। अगर आप चुकंदर को 30 रुपये किलो के हिसाब से बाजार में बेचते हैं, तो इससे आपको लाखों रुपये की कमाई हो सकती है।
Source – Internet
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