दामजीपुरा(यूनुस खान)। क्षेत्र में धूमधाम से गुरु रविदास जयंती मनाई गई। यह दिन संत रविदास के अनुयायियों के लिए बहुत महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि वह भारत में जाति व्यवस्था को चुनौती देने और समानता का संदेश फैलाने के लिए कविता और आध्यात्मिक शिक्षाओं का उपयोग करने वाले पहले लोगों में से एक थे।
संत रविदास जी को रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है। संत गुरु रविदास का जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला में हुआ था। पंचांग के अनुसार, गुरु रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था इसलिए हर वर्ष माघ पूर्णिमा के तिथि के अवसर पर इनकी जयंती मनाई जाती है।
रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए लवकेश मोरसे ने कह की रविदास जी की जन्म की तिथि को एक दोहा से प्रचलित होता है कि, जिसके अनुसार-‘चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास’. इसका मतलब है कि गुरु रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविवार के दिन 1433ई.को हुआ था।
रितेश बकोरिया ने बताया की संत रविदास भक्ति आंदोलन के एक भारतीय स्वतंत्रता सेनान और रहस्यवादी कवि और संत भी थे। इन्होंने जातिवाद का भेदभाव मिटाकर लोगों को एकजुटता का पाठ पढ़ाया और अखंड भारतवर्ष लिए प्रोत्साहित किया। वहीं गुरु रविदास जी की शिक्षाएं विशेषकर रविदासिया समुदाय के लोगों को अत्यधिक प्रभावित करती हैं, और वे जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बगैर सभी लोगों की समानता में विश्वास करते हैं।
इस अवसर पर रितेश बकोरिया, भीम कुमरे, निलेश रावण परते, उमेश धनोरे, शिवप्रशाद धनोरे, शिवदयाल बकोरिया, रामदयाल बकोरिया, संजय बकोरिया, अनिल सातवासे, मण्डल अध्यक्ष उषा नीलकमल ढिकारे, लवकेश मोरसे अफसर खान हरि राठौर सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।
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