Betul News: खेड़ीसावलीगढ़ (बैतूल)। पुण्य सलिला आदिगंगा सूर्यपुत्री मां ताप्ती के धार्मिक और पौराणिक महत्व के चलते आसपास के करीब 40 गाँवों के लोग अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करने खेड़ी स्थित ताप्ती घाट पर पहुँचते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि यहाँ न तो उचित मोक्षधाम है और न ही नदी तक पहुँचने के लिए सुगम मार्ग।
अंतिम संस्कार खुले आसमान तले
लोग ऊबड़-खाबड़ और बदहाल रास्तों से शवयात्रा लेकर ट्रैक्टरों पर घाट तक पहुँचते हैं। नदी के तट पर मोक्षधाम न होने के कारण खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि हाल ही में तेज बारिश के दौरान शव को अग्नि देने के बाद अचानक बाढ़ का पानी आ गया, जिससे अधजले शव को वहीं छोड़कर भागना पड़ा। यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक और पीड़ादायी रही।
टीन शेड भी बह गए
करीब पाँच वर्ष पूर्व जिला पंचायत बैतूल द्वारा लाखों रुपए खर्च कर घाट पर दो टीन शेड बनाए गए थे, लेकिन लापरवाह निर्माण के कारण पहली ही बारिश में वे बाढ़ में बह गए। तब से आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि जिले के कई स्थानों पर मोक्षधाम बनाए गए हैं, लेकिन सबसे अधिक अंतिम संस्कार खेड़ी ताप्ती घाट पर होते हैं। इसलिए यहाँ पक्के मोक्षधाम और सुगम पहुँच मार्ग की सबसे अधिक आवश्यकता है। ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से तत्काल पहल करने की अपील की है।
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