बिना पैथालॉजिस्ट के भगवान भरोसे चल रही हैं जिले में कई लैब
बैतूल। इसे स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत कहे या फिर अनदेखी कि बाहर के पैथालाजिस्टों से 5 से 6 हजार रु. प्रतिमाह में सिग्रेचर खरीदकर पैथालाजी लैब संचालित किए जा रहे है। इन पैथालॉजिस्टों द्वारा कभी झांक भी नहीं देखा जाता है कि लैब का संचालन कैसे हो रहा है? मापदण्डों का पालन किया जा रहा है या नहीं? लैब संचालकों द्वारा सिर्फ जांच की जा रही है और अपनी तिजोरी भरी जा रही है। सांध्य दैनिक बैतूलवाणी द्वारा लगातार चलाए जा रहे इस अभियान में प्रतिदिन नई-नई परते खुल रही है जिसको पढक़र पाठकों सहित स्वास्थ्य विभाग के मानीटरिंग करने की जिम्मेदारी निभाने वाले अफसरों की आंखें भी खुली की खुली रह जाएगी कि आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में नियम-कायदों को किस तरह से ताक पर रखकर कई पैथालाजी लैब संचालित की जा रही है।
पैथालाजिस्ट ने ही कर दिया खुलासा
सांध्य दैनिक बैतूलवाणी की पड़ताल में उस समय बड़ा खुलासा हुआ जब बैतूल की पैथालाजी लैब को सिग्रेचर अर्थाटी देने वाले बाहर के एक पैथालॉजिस्ट से बैतूलवाणी ने फोन पर बात की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस कार्य के उन्हें 5 से 6 हजार रु. प्रतिमाह मिलते हैं और मैंने एक साल पहले ही उस लैब से अनुबंध खत्म कर दिया था लेकिन लैब संचालक ने इसकी सूचना बैतूल सीएमएचओ को नहीं दी। जिसके कारण सूचना की रिसीविंग मुझे नहीं मिल पाई है। अगर इस पैथलाजी लैब संचालक ने मेरे दस्तावेज या सिग्रेचर का दुरूपयोग किया है तो मुझे इसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी पड़ेगी।
फोटोकाफी से चलाते हैं काम
इसी पैथालॉजिस्ट ने यह भी बड़ा खुलासा किया कि किसी पैथालाजी लैब को पैथालॉजिस्ट के द्वारा जो दस्तावेज दिए जाते हैं उन दस्तावेजों की कलर फोटोकॉपी कराकर दूसरे पैथालॉजी लैब संचालक लैब का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इसकी जानकारी पैथालॉजिस्ट नहीं होती है कि उनके नाम से कितने लैब संचालित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके नाम का बैतूल में दुरूपयोग किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि ऐसा ही दूसरे जिलों में हुआ था जिसको लेकर उन्होंने एफआईआर भी कराई थी।
लैब संचालक ने दिया आवेदन
सांध्य दैनिक बैतूलवाणी के अभियान की धमक दिखाई देने लगी है। भले ही स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की हो लेकिन कुछ पैथालॉजी लैब संचालक अपनी लैब को अस्थायी रूप से बंद करने के आवेदन देने लगे हैं। जानकारी मिली है कि मुलताई के किसी लैब संचालक ने सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन देकर पैथालॉजिस्ट से अनुबंध खत्म होने का उल्लेख करते हुए अपनी लैब को अस्थायी रूप से बंद करने का आवेदन दिया है। हालांकि इस आवेदन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा नहीं होने के कारण उनका पक्ष सामने नहीं आया है।
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