Compensation: बैतूल जिले के मुलताई क्षेत्र में ताप्ती नदी पर लगभग 135.55 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे मेंढ़ा डैम के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को लेकर किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। किसानों को प्रति हेक्टेयर केवल 5 लाख रुपये मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि उन्होंने 10 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की मांग की थी। इस विषय पर किसानों ने पूर्व में कलेक्टर बैतूल को आवेदन दिया था, जिसमें उन्हें आश्वासन मिला था कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। हालांकि, वर्तमान में घोषित मुआवजा राशि से किसान असंतुष्ट हैं।
अपनी मांगों के समर्थन में, 11 मार्च मंगलवार को सैकड़ों किसान पैदल मार्च निकालकर कलेक्ट्रेट कार्यालय में ज्ञापन सौंपेंगे। किसान नेता निखिल बावने ने जानकारी दी है कि यह मार्च सदर से शुरू होकर कारगिल चौक होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचेगा। किसानों का कहना है कि यदि उनकी न्यायोचित मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे आंदोलन तेज करेंगे।
यह मुद्दा केवल मेंढ़ा डैम तक सीमित नहीं है; जिले में अन्य डैम परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को लेकर भी किसानों में असंतोष देखा गया है। उदाहरण के लिए, तीन साल बाद भी 45 किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिला है, जिससे वे आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें हैं:
- अधिग्रहित भूमि के लिए प्रति हेक्टेयर 10 लाख रुपये मुआवजा।
- ट्यूबवेल, इमारती लकड़ी के पेड़, और फलदार वृक्षों का उचित मुआवजा।
- भूमि अधिग्रहण के नए कानून के अनुसार चार गुना मुआवजा।
किसानों का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। प्रशासन को चाहिए कि वे किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करें ताकि क्षेत्र में विकास कार्यों के साथ-साथ किसानों के हित भी सुरक्षित रहें।
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