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Continuous Service: रोटी बैंक का उद्देश्य शहर में कोई भूखा नहीं सोए

रोटी बैंक का उद्देश्य शहर में कोई

साढ़े तीन साल से चल रही अनवरत सेवा

Continuous Service: बैतूल। शहर में कोई भूखा नहीं सोए इस उद्देश्य को लेकर रोटी बैंक परिवार पिछले साढ़े तीन साल से भूखों की आत्मा को तृप्त करने के लिए अनवरत सेवा दे रही है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड पर रात में भूखे लोगों को भरपेट खाना खिलाने के लिए रोटी बैंक परिवार में अभी तक 218 सदस्य जुड़ गए हैं। कोई सदस्य घर से खाना बनाकर लाता है तो कोई सदस्य होटल से खाना लाकर भूखे लोगों को खिलाता है। 1248 दिन पूर्ण करने पर रोटी बैंक परिवार के कोषाध्यक्ष विनोद खातरकर ने अपने जन्मदिन पर भोजन वितरित किया। श्री खातरकर भीमपुर विकासखंड के कुंड बकाजन में माध्यमिक शाला में शिक्षक के रूप में पदस्थ हैं।


ऐसे हुई शुरूवात


रोटी बैंक परिवार के चेयरमेन आरके विजयकर ने बताया कि 4 साल पहले किसी कार्य से दिल्ली गए हुए थे। वहां पर देखा कि कचरे के ढेर में कुछ लोग अन्न के दाने तलाश रहे हैं। इस स्थिति को देखकर उनके मन में बहुत दुख हुआ। उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि ऐसे कई लोग हैं जो रात में भूखे सो जाते हैं। श्री विजयकर जब बैतूल आए तो उन्होंने अपने दोस्तों से इस बारे में चर्चा की और उस दिन दृढ़ संकल्प लिया कि शहर में कोई भूखा ना सोए इसको लेकर रोटी बैंक का गठन किया जाएगा। 21 अगस्त 2021 को इस कार्य की शुरूवात हुई और आज तक अनवरत रूप से चल रहा है।


औसत 50 लोगों को करते हैं वितरित


रोटी बैंक के वाइस चेयरमेन श्यामदेव ब्राम्हणे ने बताया कि शुरूवात में तो कम सदस्य थे और घर से खाना लाते थे और भूखे लोगों को वितरित करते थे। धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और अब संस्था में 218 सदस्य शामिल हो गए हैं। कुछ सदस्य घर से खाना बनाकर लाते हैं और कुछ होटल से खाना लाकर वितरित करते हैं। कई समाजसेवी दिन विशेष के रूप में जैसे जन्मदिन, शादी की सालगिरह, पुण्यतिथि पर भोजन वितरित करते हैं। इनमें कई सदस्य 50 रुपए थाली के हिसाब से संस्था को सहयोग देते हैं। प्रतिदिन औसत 50 लोगों को खाना वितरित करने का कार्य किया जाता है। इसकी शुरूवात रेलवे स्टेशन पर होती है और अगर खाना बच जाता है तो बस स्टैण्ड पर भी वितरित किया जाता है।


जन्मदिन को बनाया खास


आमतौर पर लोग जन्मदिन सेलीब्रेशन अपने परिजनों और दोस्तों के साथ करते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करते हैं। इनमें से शिक्षक विनोद खातरकर जिन्होंने अपना जन्मदिन जरूरतमंद लोगों के बीच मनाया और उन्हें भोजन वितरित किया। उनके साथ समाजसेवी अरूण राठौर भी मौजूद थे। श्री खातरकर ने बताया कि खुशियां पाने की जगह उन्हें बांटने में ज्यादा खुशी मिलती है इसलिए सभी को अपने खुशी के पलों को जरूरतमंदों के बीच बिताना चाहिए।

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