एक्सपर्ट बोले- नया वैरिएंट आने तक घबराने की जरूरत नहीं
Corona: नई दिल्ली | सिंगापुर, थाईलैंड और हॉन्गकॉन्ग जैसे एशियाई देशों में कोविड-19 के मामलों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। सिंगापुर में 13 मई तक 14,200 नए मामले सामने आए, जबकि थाईलैंड में एक हफ्ते में कोविड के केस दोगुने होकर 33,000 से पार पहुंच गए। हॉन्गकॉन्ग में भी 1,000 से अधिक केस और 18 मौतें दर्ज की गईं हैं। भारत में भी 12 मई के बाद से मामूली वृद्धि देखी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 19 मई तक देश में 257 एक्टिव केस हैं। इनमें से अधिकांश मामले केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में वर्तमान स्थिति गंभीर नहीं है।
कोरोना की वापसी, लेकिन गंभीर नहीं
सिंगापुर और थाईलैंड में कोविड के बढ़ते मामलों की वजह JN-1 वैरिएंट के उपप्रकार (LF-7 और NB-1.8) बताए जा रहे हैं। हालांकि, वहां की सरकारें इसे ‘फ्लू जैसा संक्रमण’ मान रही हैं और पैनिक नहीं फैलाने की सलाह दे रही हैं। सिंगापुर निवासी गीतांजलि श्रीवास्तव कहती हैं, “यहां लोग सावधानी बरत रहे हैं, लेकिन घबराहट जैसी स्थिति नहीं है। मास्क फिर से आम हो गए हैं। थाईलैंड के कुछ स्कूलों में ऐहतियातन छुट्टी दी गई है, लेकिन आम जनजीवन सामान्य है।
भारत में स्थिति और सरकार की तैयारी
भारत में कोविड के केस अभी नियंत्रण में हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि हाल की दो मौतें उन मरीजों की थीं जिन्हें पहले से गंभीर बीमारियां थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की बड़ी आबादी पहले ही कोविड से संक्रमित हो चुकी है और कोविशील्ड जैसे प्रभावी टीके लगवा चुकी है, जिससे सामूहिक इम्युनिटी बनी हुई है। डॉ. ईश्वर गिलाडा बताते हैं, “भारत में फिलहाल जो केस आ रहे हैं, वे ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट JN-1 से जुड़े हैं। हमें डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।”
क्या फिर से वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी?
फोर्टिस अस्पताल, गुड़गांव के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण गुप्ता का मानना है कि यदि मामलों में वृद्धि होती है, तो मौजूदा वैक्सीन को नए वैरिएंट के अनुसार मॉडिफाई कर फिर से लगाने की जरूरत पड़ सकती है। “यह ठीक वैसा ही होगा जैसे फ्लू की हर साल नई वैक्सीन आती है।”
बचाव ही सबसे बेहतर उपाय
विशेषज्ञों का सुझाव है कि आम लोग मास्क पहनें, भीड़भाड़ से बचें और हाथों की स्वच्छता बनाए रखें। बुजुर्गों और गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
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