Divine vision: नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन दिवसीय श्रीलंका यात्रा पूरी कर भारत लौट आए हैं। इस यात्रा के दौरान लौटते समय पीएम मोदी को हवाई मार्ग से “रामसेतु” के दिव्य दर्शन हुए। उन्होंने इस अनुभव को “ईश्वरीय संयोग” बताते हुए रामनवमी के शुभ अवसर पर इसे विशेष और भावुक क्षण बताया।
रामसेतु के दर्शन पर पीएम मोदी की पोस्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा:
“आज रामनवमी के पावन अवसर पर श्रीलंका से वापस आते समय आकाश से रामसेतु के दिव्य दर्शन हुए। ईश्वरीय संयोग से मैं जिस समय रामसेतु के दर्शन कर रहा था, उसी समय मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के दर्शन का भी सौभाग्य मिला। मेरी प्रार्थना है कि हम सभी पर प्रभु श्रीराम की कृपा बनी रहे।”
इस भावनात्मक पोस्ट के साथ पीएम मोदी ने एक विडियो क्लिप भी साझा की, जिसमें हवाई जहाज़ से रामसेतु की झलक दिखाई गई।
पंबन ब्रिज: भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे पुल उद्घाटित
रामेश्वरम में प्रधानमंत्री ने देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल — पंबन रेल पुल — का उद्घाटन किया। यह पुल
- 2.08 किलोमीटर लंबा है
- रामेश्वरम (पंबन द्वीप) को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है
- पुल का लिफ्ट स्पैन ऊँचा उठाकर जहाजों को नीचे से गुजरने की सुविधा देता है
इस पुल की आधारशिला वर्ष 2019 में खुद पीएम मोदी ने रखी थी। इसके उद्घाटन के दौरान उन्होंने रिमोट डिवाइस से लिफ्ट स्पैन को संचालित भी किया, जिससे भारतीय तटरक्षक का जहाज गुजर सका।
नई ट्रेन सेवा की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने रामेश्वरम और तांबरम के बीच नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह कदम क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
रामसेतु: धार्मिक और भौगोलिक दृष्टि से विशेष
रामसेतु, जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है,
- 48 किलोमीटर लंबा एक प्राकृतिक चूना-पत्थर संरचना है
- यह भारत के रामेश्वरम द्वीप को श्रीलंका के मन्नार द्वीप से जोड़ता है
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, यही वह मार्ग है जिससे भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए पुल बनवाया था, जिससे सीता माता की मुक्ति संभव हुई
रामनवमी के शुभ अवसर पर पीएम मोदी का रामसेतु दर्शन और पंबन ब्रिज उद्घाटन, दोनों घटनाएँ आस्था, राष्ट्रगौरव और विकास की त्रिवेणी के रूप में देखी जा रही हैं। एक ओर रामायण काल की आस्था से जुड़ी स्मृति, और दूसरी ओर आधुनिक भारत की इंजीनियरिंग प्रगति – ये दोनों घटनाएँ भावनात्मक और तकनीकी विकास का सुंदर संगम प्रस्तुत करती हैं।
साभार..
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