Espionage: हैदराबाद | — भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक चीनी अनुसंधान पोत भारत की समुद्री सीमा की ओर बढ़ता देखा गया है। जहाज का नाम ‘दा यांग यी हाओ’ है, जिसे चीन ‘अनुसंधान पोत’ कहता है, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियां और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इसे जासूसी मिशन का हिस्सा मान रहे हैं।
📡 जासूसी की आड़ में समुद्री अनुसंधान?
विशेषज्ञ डेमियन साइमन के अनुसार, यह जहाज समुद्र तल का गहराई से नक्शा बनाने, पनडुब्बियों की रीडिंग करने और मिसाइल ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों में सक्षम है। चीनी अनुसंधान पोतों में दोहरी क्षमता होती है—वैज्ञानिक कार्यों के साथ-साथ सैन्य जासूसी का भी उद्देश्य।
🛰️ भारत की सतर्क निगरानी
भारतीय एजेंसियां जहाज की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं। यह पोत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारतीय हितों के निकट है। भारत पहले भी चीनी अनुसंधान जहाजों की समुद्री गतिविधियों पर आपत्ति जता चुका है, खासकर श्रीलंका और अंडमान के आस-पास।
🌊 चीन के सर्वेक्षण पोतों का नेटवर्क
चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक समुद्री अनुसंधान पोत बेड़ा है। अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के आंकड़ों के अनुसार, चीन के पास 1990 के बाद निर्मित 64 पंजीकृत सर्वेक्षण पोत हैं, जो अमेरिका (44) और जापान (23) से कहीं अधिक हैं।
🌍 हिंद महासागर में बढ़ती चीनी मौजूदगी
2019 से चीन ने श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड सहित IOR के रणनीतिक क्षेत्रों में अपने तथाकथित अनुसंधान जहाज तैनात किए हैं। 2023 में चीन ने इस क्षेत्र में 25 जासूसी और ट्रैकिंग पोतों की तैनाती की सूचना दी थी। इन पोतों का एक प्रमुख उद्देश्य भारत की सैन्य और सामरिक गतिविधियों की निगरानी करना और समुद्री खनिज संसाधनों का सर्वेक्षण करना भी बताया गया है।
⚠️ भारत की रणनीतिक चुनौती
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम केवल समुद्री अनुसंधान नहीं, बल्कि क्षेत्रीय ताकत के संतुलन को प्रभावित करने की रणनीति का हिस्सा है। भारत को अब हिंद महासागर में अपनी नौसेना और सर्वेक्षण निगरानी क्षमता को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
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