जर्जर भवन में बच्चे पढ़ने को मजबूर
Fear: सावलमेंढ़ा। भैंसदेही विकासखंड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। समय-समय पर ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं, जिसे देखकर लगता है, कि ऐसी हालत नौनिहाल आखिर गुणवत्तापरक शिक्षा कैसे हासिल कर पाएंगे कुछ ऐसा ही हाल है कोथलकुण्ड में संचालित एड़ापुर एकीकृत माध्यमिक विद्यालय का जहां 48 बच्चे शिक्षा की अलक जगा रहे है।
कहा जाता है कि किसी भी देश का भविष्य बच्चों पर टिका होता है देश का आने वाले कल कैसा होगा यह देश के बच्चे तय करेंगे। देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए सरकार बच्चों की पढ़ाई पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। स्कूल बनवा रही है,नई तकनीकों से पढ़ाई कराइ जा रही है, लेकिन बैतूल जिले के भैंसदेही विकासखंड के ग्राम कोथलकुण्ड में संचालित एड़ापुर एकीकृत माध्यमिक शाला में कक्षा 1 से लेकर 8 तक पढऩे वाले छात्र-छात्राएं नेताओं और अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि उनका स्कूल बनवा दिया जाए, क्योंकि कक्षा 1 से 8 वीं तक के छोटे-छोटे बालक -बालिकाओं को एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करना पड़ता है। वहीं एड़ापुर एकीकृत माध्यमिक शाला की हालत इतनी खराब है कि भवन की छत से प्लास्टर गिर रहा है, परन्तु इसके सुधार पर किसी का ध्यान नहीं है। मजबूरी में बच्चे शिक्षा के मंदिर में अध्यापन कार्य कर रहे है शिक्षा विभाग जहां स्कूल चलें हम… सब पढ़ें-सब बढ़ें जैसे तमाम सरकारी दावे की बात तो करता है परन्तु इस स्कूल की स्थिति की पोल खोलती तस्वीर सब बया कर रही है कि ये दावे कितने सही है।
जर्जर हो चुकी है छत

यहां गांव के नन्हे-मुन्ने छात्र जर्जर हो चुके छत के नीचे दहशत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं। कहने को तो स्कूल में तीन कमरे हैं, लेकिन उन दोनों कमरों की हालत बदहाल है जैसे-तैसे सामने के कमरे में पहली से लेकर पांचवी क्लास के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है और 6 से 8 तक के बच्चे को दूसरे खस्ताहाल कमरे में शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है ये हालत है ग्रामीण अंचलों में पढऩे वाले बच्चों की स्थिति ऐसी विकट है कि भवन की छत से प्लास्टर टूटकर नीचे फर्श पर गिर रही है. इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चे इसी छत के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है।
नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे

ग्राम के पालकों ने खतरें की आशंका को ध्यान में रखते हुए नया भवन बनवाने की मांग जनप्रतिनिधि से लेकर आला अधिकारि तक की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से डर का माहौल बना हुआ है जिससे अब सवाल उठ रहे है कि जर्जर भवन में कैसे पढ़ेंगे बच्चे? ऐसे बनेगा देश का भविष्य, क्यों बदहाल है सरकारी स्कूल, विभाग की अनदेखी का जिम्मेदार कौन? क्या दुर्घटना का इंतजार कर रहे जिम्मेदार?
साभार…
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