मध्य प्रदेश सरकार ने पंचायत और नगरीय निकायों को आवंटित होने वाली राशि के निर्धारण के लिए छठे राज्य वित्त आयोग के गठन की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को प्रस्ताव भेजा है। इससे पहले, चौथे और पांचवें वित्त आयोग का नेतृत्व भाजपा नेता हिम्मत कोठारी ने किया था।
आयोग का कार्यक्षेत्र
राज्य वित्त आयोग का मुख्य उद्देश्य:
- राजस्व का बंटवारा: भूमि पर करों, स्टांप शुल्क और अन्य करों से होने वाली आय को पंचायतों और नगरीय निकायों के बीच बांटने की अनुशंसा करना।
- स्थिति सुधार: नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति सुधारने के उपाय सुझाना।
- सुझाव आमंत्रण: नागरिकों, विशेषज्ञों और अशासकीय संगठनों से सुझाव लेकर शासन को प्रस्तुत करना।
आयोग गठन की प्रक्रिया
- नागरिकों और विशेषज्ञों से सुझाव लेने की प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष का समय लगता है।
- वर्तमान में, पांचवें आयोग की अनुशंसा 31 मार्च 2026 तक मान्य है।
- इसके बाद, नए आयोग की अनुशंसा पर राशि आवंटित होगी।
- आयोग में नियुक्तियां राजनीतिक दृष्टिकोण से की जाती हैं और इसे अन्य निगम और मंडलों के साथ नियुक्त किया जा सकता है।
कर्मचारी आयोग का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव
सरकार, कर्मचारियों से संबंधित मामलों का अध्ययन करने वाले कर्मचारी आयोग का कार्यकाल मार्च 2025 तक बढ़ा सकती है।
- मौजूदा स्थिति: आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2024 में समाप्त हो चुका है।
- कर्मचारी संगठनों की नाराजगी: शासन में ऐसा कोई मंच नहीं है जहां वे अपनी मांगें रख सकें।
- पेंशन नियमों का संशोधन: आयोग ने पेंशन नियमों में बदलाव का प्रारूप सौंप दिया है, जिसे मार्च 2025 तक अंतिम रूप देकर लागू किया जा सकता है।
उम्मीद और संभावनाएं
- छठे राज्य वित्त आयोग का गठन होने के बाद पंचायत और नगरीय निकायों के राजस्व बंटवारे में पारदर्शिता और सुधार की उम्मीद है।
- कर्मचारी आयोग का कार्यकाल बढ़ाने से कर्मचारियों की मांगों पर विचार का मंच मिलेगा।
- पेंशन और अन्य नियमों में सुधार से प्रशासनिक कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।
मध्य प्रदेश सरकार इन सुधारों के जरिए वित्तीय और प्रशासनिक प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कदम उठा रही है।
source internet… साभार….
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