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Hard: हमारे शिक्षक’ ऐप पर जबलपुर हाईकोर्ट सख्त: सरकार से रिकॉर्ड तलब, अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को

हमारे शिक्षक' ऐप पर जबलपुर हाईकोर्ट

Hard: जबलपुर। मध्य प्रदेश में शिक्षकों की ई-अटेंडेंस प्रक्रिया को लेकर चल रहा विवाद अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। जबलपुर हाईकोर्ट में गुरुवार को ‘हमारे शिक्षक’ ऐप को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश के 73% शिक्षक इस ऐप का उपयोग कर रहे हैं। कोर्ट ने सरकार से इसका विस्तृत रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।


🔹 शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस प्रक्रिया को दी चुनौती

जबलपुर के शिक्षक मुकेश सिंह बरकड़े सहित 27 शिक्षकों ने स्कूल शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस प्रणाली को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऐप से उपस्थिति दर्ज करने में कई तकनीकी और व्यवहारिक परेशानियां आ रही हैं।

उनके अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने कोर्ट को बताया कि —

  • कई शिक्षकों के पास उच्च गुणवत्ता वाला स्मार्टफोन नहीं है,
  • उन्हें हर महीने डाटा पैक का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है,
  • स्कूलों में नेटवर्क कनेक्टिविटी कमजोर है,
  • सर्वर और फेस रिकग्निशन से जुड़ी दिक्कतें भी बार-बार आ रही हैं।

🔹 बायोमेट्रिक या रजिस्टर से उपस्थिति की मांग

शिक्षकों ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि यदि ऐप से हाजिरी अनिवार्य रखी जाती है, तो इसके विकल्प के रूप में या तो बायोमेट्रिक मशीनें लगाई जाएं या फिर पहले की तरह कर्मचारी उपस्थिति रजिस्टर में हाजिरी दर्ज करने की अनुमति दी जाए।
उन्होंने यह भी बताया कि कई जगह विभागीय अधिकारी वेतन रोकने की धमकी देकर ऐप से उपस्थिति दर्ज करने के लिए दबाव बना रहे हैं।


🔹 कोर्ट ने मांगे हलफनामे और स्कूलों का डाटा

जस्टिस एम.एस. भट्टी की एकल पीठ ने सभी याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताएं कि क्या उन्होंने ऐप से उपस्थिति दर्ज करने का प्रयास किया था, और क्या वे नेटवर्क की कमी या तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं कर पाए।

साथ ही, कोर्ट ने सरकार से भी कहा है कि वह हलफनामे पर अपना जवाबी पक्ष पेश करे और यह बताए कि जिन स्कूलों में याचिकाकर्ता पदस्थ हैं, वहां अन्य कर्मचारी ऐप का उपयोग कर रहे हैं या नहीं


🔹 सरकार को पेश करना होगा पूरा रिकॉर्ड

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के लगभग 73% शिक्षक ‘हमारे शिक्षक’ ऐप के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।
कोर्ट ने इस दावे पर साक्ष्य सहित दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, जिन जिलों में ऐप के उपयोग की दर कम है, वहां की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी गई है।

साभार… 

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