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Hazard: साइबर क्राइम का ग्लोबल हमला: हर सेकंड ₹1.63 करोड़ की चपत

साइबर क्राइम का ग्लोबल हमला: हर सेकंड

भारत में 2025 तक ₹1.2 लाख करोड़ की ठगी का खतरा

Hazard: नई दिल्ली | इंटरनेट और टेक्नोलॉजी ने दुनिया को जोड़ा है, लेकिन इसी तकनीक ने अब दुनिया को डराना भी शुरू कर दिया है। साइबर क्राइम एक ऐसा साया बन चुका है जो हर सेकंड ₹1.63 करोड़ की चपत दुनिया को लगा रहा है। साल 2024 में दुनियाभर में ₹498 लाख करोड़ रुपए की ठगी साइबर अपराधियों ने की है।

भारत में तेजी से बढ़ा साइबर अपराध

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2023 में 9.2 लाख से ज्यादा साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें कुल मिलाकर ₹6 हजार करोड़ रुपए की चपत लगी। पिछले 6 सालों में साइबर अपराध 42 गुना तक बढ़ चुका है।

विशेषज्ञों की मानें तो 2025 तक यह आंकड़ा ₹1.2 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है — जो बिहार के बजट का 50% है।


कैसे चलता है साइबर ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग का ग्लोबल रैकेट

साइबर ठगी का नेटवर्क बेहद संगठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है। स्कैमर्स, मनी म्यूल्स, क्रिप्टोकरेंसी और हवाला नेटवर्क मिलकर यह सारा खेल रचते हैं।

6 स्टेज की ठगी प्रक्रिया:

  1. स्कैमर और मैचमेकर में डील: स्कैम के लिए मैचमेकर को कमीशन मिलता है।
  2. मनी म्यूल्स की व्यवस्था: फर्जी खातों या कंपनियों के जरिए पैसे की उगाही।
  3. वॉलेट और खाते पीड़ित को भेजना: स्कैमर म्यूल की जानकारी शिकार को भेजते हैं।
  4. पीड़ित पैसे ट्रांसफर करता है: आम आदमी ठगी का शिकार बनता है।
  5. पैसे की चेन बनती है: मनी म्यूल पैसा कई खातों में घुमा कर क्रिप्टो में बदलते हैं।
  6. देश से बाहर ट्रांसफर: पैसा स्कैमर तक पहुंचता है, जांच एजेंसियां पकड़ नहीं पातीं।

यह सारा नेटवर्क फर्जी दस्तावेज, भ्रष्ट बैंकिंग सिस्टम और क्रिप्टो की गुमनामी पर टिका होता है।


साइबर सुरक्षा की जंग: संसाधनों की भारी जरूरत

भारत में साइबर अपराध से निपटने के लिए कुछ प्रयास जरूर हुए हैं:

  • I4C और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल की शुरुआत
  • 2024 में 24,000 अधिकारियों को ट्रेनिंग
  • 33 राज्यों में साइबर फोरेंसिक लैब्स

लेकिन चुनौतियां अब भी बड़ी हैं:

  • देश के 37% जिलों में अब भी साइबर क्राइम सेल नहीं हैं।
  • भारत में 2024 में ₹28,000 करोड़ साइबर सुरक्षा पर खर्च होने का अनुमान है।
  • वहीं, 2025 में वैश्विक स्तर पर यह खर्च ₹18.10 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।

ग्लोबल आंकड़े डराते हैं

  • हर साल 514 लाख करोड़ रुपए की साइबर ठगी
  • 2028 तक एंटी मनी लॉन्ड्रिंग पर खर्च ₹4.41 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान
  • 70% खर्च सिर्फ अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में होता है
  • भारत में 2024 की तुलना में साइबर सुरक्षा खर्च में 16.4% वृद्धि का अनुमान
  • साभार… 

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