Horticulture – बिहार के कई जिलों में किसान तरह-तरह की बागवानी अनाज आदि की पैदावार की खेती कर रहे हैं। लीची की खेती सबसे ज्यादातर बिहार के मुजफ्फरपुर में की जाती है। मुजफ्फरपुर की माने जाने वाली मशहूर लीची को भला पूरे विश्व में कौन नहीं जानता है |
बिहार के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी में इन्ट्रेस्ट ज्यादा ले रहे हैं। इसका जमीन पर प्रभाव भी दिखने लगा है। मशरूम, लीची, मखाना और भिंडी के उत्पादन में बिहार देश का नंबर वन राज्य बन गया है। खास बात यह है कि बिहार सरकार के प्रयत्न और योजनाओं के माध्यम से ही यह सब संभव हो पाया है। प्रदेश में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना की शुरूआत कर चुकी है।
इसके चलते किसानों को सरकार की ओर से अच्छी खासी सब्सिडी भी दी जा रही है। यही कारण है कि बिहार में बागवानी सेक्टर में क्रांती सी आ गई है। यहां पर किसान अब विदेशी फसलों की भी खेती कर रहे हैं।
अभी बिहार सरकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत फलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इस योजना के तहत आम, लीची, अमरूद, आंवला, जामुन, कटहल, केला की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है।
वही, मखाना विकास योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर मखाने की खेती करने पर 75 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है। ऐसे में किसान धान- गेहूं की खेती छोड़कर बागवानी की तरफ ज्यादा रूख कर रहे हैं। खास बात यह है कि सरकार काफी वर्षो से ये योजनाएं प्रदेश में चला रही है। यही कारण है कि बिहार के किसानों ने बागवानी के क्षेत्र में क्रांति ला दी।
बिहार पूरे विश्व में शाही लीची का निर्यात करता है बिहार के हर जिले में किसान तरह-तरह की बागवानी फसलों की खेती कर रहे हैं। लीची की खेती सबसे ज्यादातर बिहार के मुजफ्फरपुर में की जाती है।
मुजफ्फरपुर की शाही लीची को पूरे विश्व में कौन नहीं जानता है। यह अपने उमदा स्वाद के लिए जाना जाता है। ऐसे में पूरे बिहार में 36.67 हजार हेक्टेयर में किसान लीची की खेती करते हैं, जिससे 3 लाख टन से अधिक की उत्पादन होता है।
वहीं बिहार जिले मुजफ्फरपुर जिले की हिस्सेदारी 12 हजार हेक्टेयर के करीब है। यह अकेले एक लाख टन के करीब लीची का उत्पादन करता है। यहां से पूरे विश्व में शाही लीची का निर्यात होता है।
बिहार में लीची की उत्पादन क्षमता भी राष्ट्रीय स्तर से बहुत अधिक है। जहां देश में लीची की उत्पादकता 7.35 टन प्रति हेक्टेयर है, वहीं बिहार में 8.40 टन प्रति हेक्टेयर है। वहीं, देश की कुल लीची के उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा है।
मिथिलांचल में 120,000 टन मखाने की खेती भी करता है – Horticulture
इसी तरह मखाने की खेती के मामले में बिहार विश्व में नंबर वन है। मिथिला के मखाने के बारे में कौन नहीं जानता है। सीतामढ़ी, सुपौल, पूर्णिया, अररिया सहरसा, दरभंगा, मधुबनी, कटिहार और किशनगंज जिले में विशेष तौर पर मखाने की खेती की जाती है।
पूरे विश्व में ज्यादातर मखाने के उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत, जबकि देश में इसकी भागिदारी 85 प्रतिशत से भी ज्यादा है। बिहार का मिथिलांचन इलाका पूरे विश्व को मखाना उपलब्ध कराता है। मिथिलांचल 120,000 टन मखाने का उत्पादन करता है।
मशरूम की खेती पर सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है – Horticulture
अगर मशरूम प्रोडक्शन की बात करें तो इसमें भी बिहार नंबर वन राज्य है। फसल सीजन 2021-22 में बिहार ने 28000 टन से अधिक मशरूम का उत्पादन किया था। खास बात यह है कि ये राज्य सरकार की योजनाओं से ही संभव हो पाया है।
एकीकृत बागवानी मिशन योजना के तहत राज्य सरकार अधिक समय से मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। इसी तरह लंबी भिंडी के उत्पादन में भी बिहार का देश में पहला स्थान है।
बिहार अकेले देश में 13 प्रतिशत भिंडी का उत्पादन कर रहा है। अगर सरकार की योजना इसी तरह जारी रही, तो यह अमरूद और अन्य फसलों के उत्पादन में भी नंबर वन राज्य बन सकता है।
Source – Internet
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