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Initiative: रातापानी टाइगर रिजर्व और असम की हाथी संरक्षण पहल पर प्रधानमंत्री का उल्लेख

रातापानी टाइगर रिजर्व और असम

Initiative: भोपाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व की महत्वपूर्ण पहल का जिक्र किया। उन्होंने असम में हाथियों के लिए अपनाए गए सफल प्रयासों और मध्य प्रदेश के नए रातापानी टाइगर रिजर्व का उल्लेख करते हुए इन प्रयासों को प्रेरणादायक बताया।


असम की ‘हाथी बंधु’ पहल:

प्रधानमंत्री ने असम में हाथियों को जंगल में बनाए रखने के लिए किए गए अनूठे प्रयास की प्रशंसा की:

  • 800 बीघा बंजर भूमि पर नेपियर घास की खेती:
    • हाथियों को जंगल में पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराया गया।
    • इस पहल से 100 गांवों को राहत मिली।
    • खेतों को बर्बाद होने से बचाया गया, जिससे मनुष्यों और हाथियों के बीच संघर्ष कम हुआ।
  • प्रधानमंत्री ने इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रतिक्रिया:

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में भी ऐसी पहल की जाएगी
  • वन विभाग के साथ मिलकर हाथियों के जंगल में रहने के लिए विशेष प्रबंधन योजनाएं बनाई जाएंगी।

रातापानी टाइगर रिजर्व का महत्व:

प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के नए रातापानी टाइगर रिजर्व का जिक्र करते हुए इसे देश के वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण बताया।

  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बयान:
    • उन्होंने इसे राज्य के लिए गर्व की बात बताया।
    • भोपाल को मानव और बाघों के सह-अस्तित्व का उदाहरण बताया।
    • दिन में मनुष्य और रात में बाघों का स्वतंत्र विचरण सह-अस्तित्व का प्रतीक है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर नई घोषणा:
    • हाल ही में देश में दो नए टाइगर रिजर्व जुड़े हैं:
      1. मध्य प्रदेश का रातापानी टाइगर रिजर्व।
      2. छत्तीसगढ़ का गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व।

प्रधानमंत्री का संदेश:

प्रधानमंत्री ने वन्यजीवों और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए इन पहलों को स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित किया। ये प्रयास वन्यजीवों के संरक्षण के साथ-साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकते हैं।


समाप्ति:

असम की हाथी संरक्षण योजना और मध्य प्रदेश का नया टाइगर रिजर्व दोनों ही प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन पहलों के सफल क्रियान्वयन से न केवल वन्यजीवों का संरक्षण होगा, बल्कि स्थानीय निवासियों को भी लाभ मिलेगा।

 source internet…  साभार…. 

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