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Interview: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक संत हैं और गृह मंत्री अमित शाह का व्यक्तित्व साहसी: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक संत हैं और गृह

Interview: नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘संत’ की संज्ञा देते हुए कहा कि वे उनकी तरह बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “कुछ संत भगवान की सेवा में जीवन समर्पित कर देते हैं, और मोदी जी ने देश सेवा को ही अपनी पूजा बना लिया है।” बुधवार शाम दिए एक विशेष इंटरव्यू में रेखा गुप्ता ने कहा,
“मैं मोदी जी को एक संत की तरह देखती हूं। वे निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के लिए काम कर रहे हैं। हमारे संगठन में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने-अपने तरीकों से देश सेवा में अपना जीवन झोंक दिया है — जिनमें नितिन गडकरी और अमित शाह जैसे नेता शामिल हैं।”

मुख्य बिंदुओं का सारांश:

  1. नेताओं से प्रेरणा:
    • रेखा गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “संत” की उपाधि दी और कहा कि वे देश सेवा को ही पूजा मानते हैं।
    • उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को साहसी बताया और उनकी निर्णय क्षमता की सराहना की।
  2. राजनीतिक सफर:
    • पहली बार विधायक बनीं और सीधे मुख्यमंत्री बनना एक बड़ी छलांग है।
    • दिल्ली में 26 साल बाद भाजपा की जीत और उनकी भूमिका ऐतिहासिक मानी जा रही है।
  3. व्यक्तिगत स्वीकारोक्ति:
    • उन्होंने पुराने विवादास्पद बयानों के लिए माफी मांगी और परिपक्वता की बात की।
    • पुलिस के लिए सम्मान और अपने बयानों पर पछतावा जताया।
  4. व्यक्तिगत जीवन में बदलाव:
    • मुख्यमंत्री बनने के बाद परिवार को समय न दे पाने का अफसोस जताया।
    • पति का समर्थन उनकी सफलता का एक बड़ा आधार बताया।
  5. पारिवारिक पृष्ठभूमि:
    • संयुक्त परिवार में रहने का उल्लेख किया जिसमें उनके पति, भाई, मां, बहनें शामिल हैं।

संपादन और प्रस्तुति के सुझाव:

  1. शीर्षक का सुझाव:
    • “CM रेखा गुप्ता: संत मोदी, साहसी शाह और मेरी कहानी”
    • “‘खुद को चुटकी काटकर यकीन दिलाया’: दिल्ली की पहली महिला BJP मुख्यमंत्री की जुबानी”
  2. लेख को पैराग्राफ में बांटना:
    • लंबा लेख छोटे-छोटे पैराग्राफ में ज्यादा प्रभावी और पठनीय होता है।
  3. कोट्स को हाईलाइट करना:
    • जैसे: “मोदी जी देश सेवा को पूजा मानते हैं।”
      “शाह वही करते हैं जो वे कहते हैं।”
      “मेरी सफलता के पीछे मेरे पति का बड़ा हाथ है।”
  4. भावनात्मक समापन: लेख के अंत में उनके संयुक्त परिवार, बच्चों और पिता के निधन का जिक्र एक भावनात्मक जुड़ाव बनाता है। इसे थोड़ा और मानवीय अंदाज़ में प्रस्तुत किया जा सकता है जैसे: “नेता बनने की राह में रेखा गुप्ता ने बहुत कुछ पीछे छोड़ा, लेकिन उनके परिवार का साथ, और समाज के लिए उनका समर्पण, उन्हें एक अलग ही पहचान देता है।”
  5. साभार…. 

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