Maha Kumbh: प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम में महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे। गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के इस संगम पर मकर संक्रांति के महास्नान के साथ महाकुंभ का आरंभ हुआ।
महाकुंभ का शुभारंभ
पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के बाद मंगलवार से महास्नान की शुरुआत हुई। महाकुंभ मेला प्रशासन ने सनातन परंपराओं का पालन सुनिश्चित किया। पहले अमृत स्नान का अवसर महानिर्वाणी अखाड़े को मिला। सुबह 12 बजे तक 1.60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके थे।
अखाड़ों का स्नान क्रम
सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के लिए स्नान क्रम निर्धारित किया गया। महानिर्वाणी और अटल अखाड़ों ने सबसे पहले स्नान किया, इसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़ों का क्रम आया। नागा साधुओं ने अपने शाही स्वरूप में शोभायात्रा निकाली, जिसमें भाला, त्रिशूल और तलवार के साथ उनके भव्य रूप ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्रद्धालुओं की आस्था
श्रद्धालुओं की भीड़ ने आधी रात से ही संगम की ओर रुख करना शुरू कर दिया। बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, सिर पर गठरी और कंधे पर झोला लटकाए, आस्था की डुबकी के लिए बढ़ते दिखे।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग और वाहनों की जांच के साथ पुलिस बल तैनात रहा। डीआईजी कुम्भ मेला और एसएसपी ने पैदल मार्च कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
धार्मिक जयघोष से गूंजा संगम क्षेत्र
12 किलोमीटर तक फैले स्नान घाटों पर हर-हर महादेव और जय श्रीराम के जयघोष की गूंज रही। श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी के तट पर डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।
संक्रांति पर दान का महत्व
ज्योतिषाचार्य आचार्य विद्याकांत पांडेय ने बताया कि मकर संक्रांति पर स्नान के बाद गरीबों को भोजन, कंबल और खिचड़ी का दान करना चाहिए। तांबा और स्वर्ण का दान भी शुभ माना गया है, लेकिन लोहा और उड़द का दान वर्जित है।
महाकुंभ के इस महास्नान ने श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और आध्यात्म का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया, जिसमें श्रद्धा और विश्वास का महासागर उमड़ पड़ा।
source internet… साभार….
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