जानिए कौन होते हैं पटवारी
Missing Case: भोपाल। मध्य प्रदेश के कटनी जिले की अर्चना तिवारी पिछले दिनों रहस्यमय तरीके से नर्मदा एक्सप्रेस से लापता हो गई थीं और 12 दिन बाद उत्तर प्रदेश-नेपाल बॉर्डर के पास मिलीं। पुलिस जांच में सामने आया कि अर्चना की शादी परिवार वालों ने एक पटवारी से तय कर दी थी, लेकिन अर्चना इस रिश्ते से खुश नहीं थीं। वकालत करने वाली और सिविल जज की तैयारी कर रही अर्चना अपने करियर पर फोकस करना चाहती थीं।
शादी से नाराज़ होकर छोड़ा घर
परिजनों ने बताया कि अर्चना को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था। उसका मानना था कि पढ़ाई और करियर के लिहाज़ से अभी शादी का समय नहीं है। इसी तनाव के चलते वह अचानक घर छोड़कर निकल गई और नेपाल तक पहुँच गई।
आखिर पटवारी होता कौन है?
राजस्व विभाग के ज़मीनी स्तर के सबसे अहम कर्मचारी को पटवारी कहा जाता है। इन्हें राजस्व विभाग की रीढ़ माना जाता है। पटवारी का काम गांव स्तर पर जमीन से जुड़े सभी रिकॉर्ड और राजस्व कार्यों को संभालना होता है।
वेतनमान और पद
- मध्यप्रदेश में नए पटवारी को शुरुआती वेतन 23 से 24 हज़ार रुपये मिलता है।
- वरिष्ठ पटवारियों का वेतन 65,000 रुपये तक पहुँचता है।
- वर्तमान में प्रदेश में लगभग 23,000 हल्के (ग्राम पंचायत स्तर) होने चाहिए, लेकिन करीब 18,000 पटवारी ही काम कर रहे हैं।
प्रशासनिक ढांचा
- जिला – प्रमुख: कलेक्टर
- अनुभाग – प्रमुख: एसडीएम
- तहसील – प्रमुख: तहसीलदार
- राजस्व न्यायालय – प्रमुख: नायब तहसीलदार
- राजस्व निरीक्षक कार्यालय – प्रमुख: राजस्व निरीक्षक
- हल्का (ग्राम पंचायत स्तर) – प्रमुख: पटवारी
औसतन एक पटवारी के जिम्मे 3 से 5 गांव आते हैं।
योग्यता
पटवारी बनने के लिए स्नातक होना आवश्यक है। इसके अलावा CPCT (कंप्यूटर प्रोफिशिएंसी सर्टिफिकेट) अनिवार्य है। चयन प्रक्रिया मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित परीक्षा से होती है।
शक्तियां और ज़िम्मेदारी
- भूमि का क्रय-विक्रय, नामांतरण, नाप-जोख, नक्शा तैयार करना।
- राजस्व अभिलेख अपडेट करना।
- आपदा प्रबंधन और कृषि बीमा सर्वेक्षण।
- फसल, पशु, आर्थिक गणना जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सहयोग।
- आय, जाति और पेंशन संबंधी प्रमाण पत्रों के लिए रिपोर्ट देना।
यही वजह है कि अक्सर कहा जाता है – “एक पटवारी सब पर भारी।”
अलग-अलग राज्यों में नाम
- उत्तर प्रदेश, हरियाणा – लेखपाल
- महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक – तलाठी
- दक्षिण भारत – कारनाम, शानबोगरु, पटेल
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पटवारी प्रणाली का इतिहास 1882 से मिलता है। तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी में तलाठी आठ-दस गांवों की जिम्मेदारी संभालते थे। आज़ादी के बाद भी यह पद बना रहा क्योंकि ग्रामीण स्तर पर भूमि और राजस्व रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए इसकी ज़रूरत हमेशा रही।
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