Negligence: शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले से सरकारी तंत्र की बड़ी लापरवाही सामने आई है। करैरा ब्लॉक में चार अस्थायी संविदा शिक्षक पिछले 14 साल से अवैध रूप से स्कूलों में सेवाएं दे रहे थे और उन्हें नियमित रूप से वेतन भी मिल रहा था। ये शिक्षक वर्ष 2009 में एक अस्थायी योजना के तहत नियुक्त किए गए थे, जबकि वह योजना साल 2012 में ही बंद कर दी गई थी।
सितंबर 2025 में विभागीय जांच के दौरान यह गंभीर चूक पकड़ी गई, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत प्रभाव से उनकी नियुक्ति समाप्त कर उन्हें भारमुक्त कर दिया।
📋 मामला कैसे शुरू हुआ
वर्ष 2009 में अभिकरण स्तरीय चयन समिति की मंजूरी और पंचायत के प्रस्तावों के आधार पर सहरिया जनजाति के अतिरिक्त संविदा शिक्षक वर्ग-3 के रूप में इनकी नियुक्ति की गई थी।
- इन्हें ₹2500 प्रति माह मानदेय पर केवल 12 महीने के लिए अस्थायी रूप से रखा गया था।
- हर 12 माह बाद सेवा वृद्धि के लिए प्रधानाध्यापक द्वारा जनपद पंचायत को रिपोर्ट भेजी जानी थी, जिसमें शिक्षकों के कार्य और व्यवहार का मूल्यांकन किया जाना था।
लेकिन योजना बंद होने के बाद भी इन शिक्षकों को न तो सेवा से मुक्त किया गया, न ही किसी ने उनकी नियुक्ति स्थिति की जांच की।
⚠️ विभागीय चूक पर कार्रवाई
शिक्षा विभाग को जब यह पता चला कि ये चार शिक्षक बिना वैध स्वीकृति के लगातार वेतन प्राप्त कर रहे हैं, तब विभाग ने आनन-फानन में नियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी किए।
मामले की जांच शुरू कर दी गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस स्तर पर यह लापरवाही हुई और जिम्मेदार अधिकारी कौन थे।
💬 विभागीय सूत्रों के अनुसार
यह घटना बताती है कि विभागीय निगरानी तंत्र में वर्षों से ढिलाई बनी हुई थी।
14 वर्षों तक किसी अधिकारी ने न तो इन शिक्षकों की नियुक्ति फाइल देखी, न ही योजना की वैधता की जांच की।
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