आयु बंधन भी स्थापित नेताओं को कर सकता निराश

Political Review:बैतूल। 1996 से लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की लगभग अधिकांश सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव हार रहे हैं। वहीं 2003 से निरंतर 2023 के चुनाव तक मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। 2018 का विधानसभा चुनाव इसका अपवाद है। 2018 में भी कांग्रेस भाजपा से मात्र कुछ सीटों से आगे थी लेकिन 15 महीनों में ही कांग्रेस में विद्रोह के बाद सरकार गिर गई। इसके बाद से तो प्रदेश में कांग्रेस सत्ता और संगठन दोनों में ही कमजोर दिखाई दे रही है।
कमलनाथ को हटाने का भी नहीं दिख रहा असर
कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे 15 महीने के मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को 2023 के चुनाव में भाजपा सरकार बनते ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से रूखसत कर दिया गया और विधानसभा चुनाव हारे जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई। इसके बावजूद कांग्रेस संगठन में एकजुटता एवं जुझारूपन दिखाई नहीं दे रहा है जिसकी विपक्ष को आवश्यकता है। लेकिन हाल में कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी भोपाल आए और उन्होंने संगठन में आमूलचूल परिवर्तन का संकेत दिया। यदि राहुल गांधी का कथन धरातल पर उतरते हैं तो बैतूल जिला कांग्रेस संगठन भी उससे प्रभावित होगा।
दो अध्यक्ष का फार्मूला हुआ था फेल
बैतूल जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर वर्षों तक सुनील शर्मा गुड्डू जिला कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्य करते रहे लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले सुनील शर्मा को जिला कांग्रेस अध्यक्ष शहर और हेमंत वागद्रे को जिला कांग्रेस अध्यक्ष ग्रामीण बनाया गया था। दो अध्यक्षों के फार्मूले के चलते कांग्रेस संगठन को जिले में और नुकसान उठाना पड़ा। गुटबाजी भी बढ़ी वहीं दो अध्यक्षों के बावजूद जिले की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर वर्षों बाद भाजपा ने कब्जा कर लिया और लोकसभा चुनाव में तो भाजपा प्रत्याशी ने जीत का 70 साल का रिकार्ड तोड़ दिया। इसी दौरान सुनील शर्मा ने कांग्रेस से ही त्याग पत्र दे दिया। फिर प्रदेश कांगे्रस ने हेमंत वागद्रे को ग्रामीण अध्यक्ष की जगह संपूर्ण जिले का अध्यक्ष घोषित कर दिया। तब से श्री वागद्रे कांग्रेस को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं।
जातिगत समीकरण को मिलेगी प्राथमिकता
प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राहुल गांधी के निर्देशों के बाद प्रदेश में जिला स्तर पर संगठन में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की कवायद चालू हो गई है। सभी जिलों में पर्यवेक्षकों को भेजा जा रहा है। बैतूल में भी पर्यवेक्षक आ रहे हैं। जिसके लिए कांग्रेस के दोनों गुटों ने तैयारियां शुरू कर दी है। आयु बंधन पर कांग्रेस सख्त रही तो 45 वर्ष की आयु तक के नेता ही जिलाध्यक्ष बन सकेंगे। वहीं जातिगत समीकरणों का ध्यान रखते हुए भी जिलाध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। बैतूल जिले में आदिवासी सर्वाधिक संख्या में है। उसके बाद ओबीसी में कुंंबी समाज बड़ी तादात में है इसलिए माना जा रहा है नया जिलाध्यक्ष इन दोनों जाति में से ही बनेगा।
इनमें से बन सकता है नया कांग्रेस जिलाध्यक्ष
जिले में कांग्रेस की गुटबाजी अभी भी चरम पर है। पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे के साथ जिलाध्यक्ष हेमंत वागद्रे दिखाई दे रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक निलय डागा एकला चलो की थीम पर अपने को मजबूत करने में लगे हैं। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस में सुखदेव पांसे का वजन बढ़ा हुआ है। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि जिला कांग्रेस अध्यक्ष के लिए घोड़ाडोंगरी जनपद अध्यक्ष एवं हाल ही प्रदेश कांग्रेस आदिवासी प्रकोष्ठ के महासचिव बनाए गए राहुल उइके को जिलाध्यक्ष की बागडोर सौंपी जा सकती है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी श्री उइके 4 हजार वोट से चुनाव हार गए थे। वहीं कुंबी समाज के हर्षवर्धन धोटे युवा होने के साथ-साथ कांग्रेस में सक्रिय हैं और पूर्व विधायक निलय डागा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। जिला पंचायत चुनाव में हर्षवर्धन धोटे ने मुलताई क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव दिग्गज भाजपा नेता राजा पंवार के खिलाफ लड़ा था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। बताया जा रहा है कि हर्षवर्धन धोटे मुलताई विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर 2028 का विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयारी शुरू कर चुके हैं।
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