Process: उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश में भी शहरों, गांवों और इलाकों के इस्लामिक नाम बदलने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। इसकी शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी, लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे और तेजी से आगे बढ़ाया है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने उज्जैन और शाजापुर जिलों में कई गांवों के नाम बदले हैं, और हिंदूवादी संगठनों ने 55 अन्य स्थानों के नाम बदलने की मांग रखी है।
गांवों के नाम बदलने की शुरुआत
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने गृह जिले उज्जैन से इस प्रक्रिया की शुरुआत की। उन्होंने गजनी खेड़ी का नाम बदलकर मां चामुंडा नगरी, जहांगीरपुर का नाम जगदीशपुर, और मौलाना गांव का नाम विक्रम नगर कर दिया। इसके बाद, रविवार को शाजापुर जिले के 11 उर्दू नाम वाले गांवों के नाम बदले गए।
नाम बदलने की सूची बढ़ी
नाम बदलने की यह प्रक्रिया पंचायत स्तर तक पहुंच चुकी है। हिंदूवादी संगठनों ने मुख्यमंत्री को 55 और स्थानों के नाम बदलने की सूची सौंपी है। विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है, “नाम तो बदल दोगे, लेकिन हालात कब बदलोगे?”
राजनीति और नामकरण
शेक्सपियर का प्रसिद्ध कथन “नाम में क्या रखा है” शायद मध्यप्रदेश की राजनीति में लागू नहीं होता। यहां नामकरण की राजनीति लगातार चर्चा में है। शहरों और गांवों के साथ रेलवे स्टेशनों और संस्थानों के नाम भी बदले जा रहे हैं। यहां तक कि विश्वविद्यालय के ‘कुलपति’ को भी अब ‘कुलगुरु’ कहा जाने लगा है।
नाम बदलने का ऐतिहासिक संदर्भ
मध्यप्रदेश में पहले भी शहरों और रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब पंचायत स्तर तक यह पहल पहुंची है। नाम बदलने के समर्थक इसे सांस्कृतिक पुनर्जागरण और विरासत के संरक्षण का हिस्सा बता रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की राजनीति मान रहा है।
शाजापुर जिले के जिन 11 गांवों के नाम बदले गए हैं, उनकी सूची जल्द ही जारी होने की संभावना है। इस मुद्दे पर राज्य में राजनीतिक और सामाजिक चर्चा लगातार बढ़ रही है।
source internet… साभार….
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