Ram Mudra: भारत में भगवान श्रीराम की फोटो वाले नोट जारी करने की मांग एक बार फिर चर्चा में है। महाकुंभ 2025 के दौरान यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है, जिसे पहले भी कई बार उठाया जा चुका है।
क्या है राम मुद्रा का विचार?
- महर्षि महेश योगी की संस्था ‘ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ (GCWP) इस विचार की समर्थक रही है।
- 2002 में नीदरलैंड, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया समेत 30 देशों में राम मुद्रा चलाने का प्रयोग हुआ था।
- इन नोटों पर भगवान श्रीराम का चित्र, रामराज्य मुद्रा, कामधेनु गाय, और कल्पवृक्ष जैसी पौराणिक प्रतीकात्मक चीजें थीं।
- एक राम मुद्रा की कीमत 10 अमेरिकी डॉलर के बराबर रखी गई थी।
क्या भारत में इसे लागू किया जा सकता है?
- पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी यह प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन RBI ने इसे खारिज कर दिया।
- तर्क था कि भारत में एक से अधिक मुद्राएं नहीं चल सकतीं और यह आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं होगा।
- अब फिर से संस्था के बड़े अर्थशास्त्री और वरिष्ठ सदस्य मोदी सरकार और RBI से मिलने का प्रयास कर रहे हैं।
महर्षि महेश योगी और उनकी संस्था
- महर्षि महेश योगी का जन्म 1918 में छत्तीसगढ़ में हुआ था।
- उन्होंने ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (TM) आंदोलन शुरू किया, जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ।
- 1990 में उन्होंने हॉलैंड में मुख्यालय स्थापित किया, जहां से उनकी संस्था का संचालन होता है।
- महर्षि योगी की संपत्ति 2008 तक 160 अरब रुपये से अधिक आंकी गई थी।
राम मुद्रा की प्रासंगिकता और संभावनाएं
- सांस्कृतिक और धार्मिक पहलू: श्रीराम भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- आर्थिक पहलू: भारत में नई मुद्रा लाने के लिए संवैधानिक और आर्थिक चुनौतियां हैं।
- राजनीतिक पहलू: मोदी सरकार के कार्यकाल में यह मुद्दा आगे बढ़ सकता है, क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद श्रीराम को लेकर व्यापक जनभावना बनी हुई है।
भविष्य की संभावनाएं
- सरकार इसे एक सांस्कृतिक टोकन या स्मारक मुद्रा के रूप में ला सकती है, लेकिन नियमित मुद्रा के रूप में लागू करना मुश्किल होगा।
- अगर सरकार इसे अनुमति देती है, तो इसे सीमित दायरे में, स्मृति चिन्ह (कमेमोरेटिव करेंसी) या आध्यात्मिक बॉन्ड के रूप में पेश किया जा सकता है।
क्या आपको लगता है कि राम मुद्रा को भारत में लागू किया जाना चाहिए? 🤔
source internet… साभार….
Leave a comment