मनोहर अग्रवाल
Ration shop: खेड़ीसांवलीगढ़। गरीबों को मिलने वाला अनाज की क्वालिटी किस तरह होती है इसका नमूना खेड़ी सांवलीगढ़ में राशन दुकान पर वितरित होने वाले चावल से देखने को मिला है। जहां उपभोक्ता को नीले कलर का चावल मिला है। आमतौर पर चावल का रंग सफेद ही होता है। लेकिन बैतूल जिले के ग्राम पंचायत सराढ के मोतीढाना की आदिवासी महिला को जनवरी माह का राशन मिला। वह चावल लेकर खुशी-खुशी घर आई और दूसरे दिन चावल की बोरी जैसे ही खोली उसके होश उड़ गए क्योंकि चावल का रंग नीला जैसा लग रहा था। मानो किसी ने चावल को प्रकृति नीला रंग दे दिया होगा।
जब इस विषय में हमने पड़ताल की और राशन दुकान के सेल्समैन कचरू को जानकारी दी तो वह भी नीले रंग के चावल सुनकर हैरत में पड़ गया और बोला कि ये गड़बड़ी ऊपर से है। वही बसंती बाई ने बताया कि चावल उन्होंने रात के समय बनाकर खाया तो कुछ नहीं हुआ लेकिन बच्चों को उल्टियां होने लगी तो उन्होंने पड़ोसियों को बताया। उन्होंने यह नीले चावल खाने से मना कर दिया। यह नीले चावल गांव में चर्चा का विषय बने हुए है। वहीं सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है इसकी जांच की जाना चाहिए।
इस मामले की जानकारी जब प्रशासन को मिली तो आज नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक जीएल लुधियानी टीम के साथ राशन दुकान पर पहुंचे और उपभोक्ता को चावल लेकर बुलाया गया। इसकी जांच की गई। श्री लुधियानी ने बताया कि बोरों पर स्याही से छापा लगाया जाता है और बारिश में बोरी गीली होने के कारण उसका रंग चावल पर लग गया था। उपभोक्ता को चावल बदलकर दूसरा चावल दिया गया है।
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