Warehouse: भोपाल: मध्य प्रदेश में वेयरहाउस संचालकों को पिछले दो वर्षों से किराए का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे 8,000 करोड़ रुपये का निवेश डूबने की कगार पर पहुंच गया है। इससे 8,000 गोदामों के मालिक और उनसे जुड़े 5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं।
मुख्य कारण और स्थिति:
- भुगतान बकाया: वेयरहाउस संचालकों का कहना है कि उन्हें 2016-17 के प्याज भंडारण, पिछले तीन वर्षों के धान भंडारण, और गेहूं, मूंग, चना व चावल के किराए का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। कुल 2,100 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है।
- बैंक लोन संकट: बैंकों से कर्ज लेकर बनाए गए वेयरहाउस अब डिफॉल्टर होने की कगार पर हैं। कई गोदाम नीलामी की स्थिति में पहुंच चुके हैं।
- वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन का बकाया: इन गोदामों को राज्य सरकार के वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन को किराए पर दिया गया था, लेकिन संचालकों को भुगतान नहीं मिल रहा।
- कर्मचारियों की समस्याएं: भुगतान न होने के कारण कर्मचारियों के वेतन और गोदामों के रखरखाव में भी संकट उत्पन्न हो गया है।
वेयरहाउस संचालकों की चेतावनी:
एसोसिएशन ऑफ वेयरहाउस ऑनर्स के अध्यक्ष नवनीत रघुवंशी ने कहा कि अगर 2025-26 के समर्थन मूल्य की खरीद के पहले भुगतान नहीं हुआ, तो वे गेहूं भंडारण का बहिष्कार करेंगे।
सरकारी प्रतिक्रिया और संभावित समाधान:
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, और प्रमुख सचिव खाद्य रश्मि अरुण शमी से इस मामले में कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।
- संचालकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि जल्द समाधान न मिलने पर आंदोलन करेंगे।
अगर यह संकट जल्द हल नहीं हुआ, तो समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं के भंडारण में भारी दिक्कतें आ सकती हैं, जिससे प्रदेश के किसानों और खाद्य आपूर्ति व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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