हाईकोर्ट ने खारिज की जनहित लगाई याचिका
Reservation: जबलपुर(ई-न्यूज)। मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है। इस मामले में हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका खारिज हो गई है। अब सरकार को नए सिरे से जवाब पेश करना होगा।
राज्य सरकार के निर्णय को दी थी चुनौती
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य शासन के निर्णय को चुनौती दी गई थी। 4 अगस्त 2023 को हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को 87:13 का फॉर्मूला लागू करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद प्रदेश की सभी भर्तियां ठप हो गई थीं।
अनहोल्ड होंगे 13 प्रतिशत पद
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने की। यह याचिका सागर की यूथ फॉर इक्वालिटी संस्था की ओर से दायर की गई थी। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के मुताबिक इस फैसले के बाद प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर अब नए सिरे से काम करना होगा। साथ ही प्रदेश में भर्ती से जुड़े 13 प्रतिशत होल्ड पदों को अब अनहोल्ड भी किया जाएगा।
यह दी थी अनुमति
दरअसल, 26 अगस्त 2021 को प्रदेश के तत्कालीन महाधिवक्ता के अभिमत के चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने 2 सितंबर 2021 को एक परिपत्र जारी कर ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण की अनुमति प्रदान की थी। इस परिपत्र में तीन विषयों को छोडक़र शेष में 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इनमें नीट पीजी प्रवेश परीक्षा 2019-20, पीएससी द्वारा मेडिकल ऑफिसर भर्ती 2020 और हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में 5 विषय शामिल थे।
27 प्रतिशत आरक्षण के आदेश से स्टे हटा
ओबीसी के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि उक्त याचिका के निरस्त होने से प्रदेश में कुछ मामलों को छोडक़र शेष में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि अब यह सरकार पर है कि उक्त फैसले के बाद आगे क्या रुख अपनाती है। हाईकोर्ट ने सुनवाई में साफ कर दिया है कि प्रदेश में होल्ड पदों की सभी भर्तियों को फिर से अनहोल्ड यानी भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। जो कोर्ट के पूर्व में जारी फैसले के चलते होल्ड पर कर दी गई थीं। 4 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को 87 /13 का फॉर्मूला लागू करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद प्रदेश की सभी भर्तियां रोक दी गई थीं।
जवाब पेश करेगी सरकार
सरकार ने यह फॉर्मूला महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर तैयार किया था, जिसके तहत 87 प्रतिशत सीटें अनारक्षित और 13 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए रखी गई थीं। इससे 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का लाभ लाखों ओबीसी अभ्यर्थियों को नहीं मिल रहा था। अब सरकार को नए सिरे से अपना जवाब हाईकोर्ट में पेश करने कहा गया है। वहीं, इस मामले में शासकीय अधिवक्ता अभी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं मामले
आशिति दुबे ने मेडिकल से जुड़े मामले में ओबीसी आरक्षण को पहली बार चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को ओबीसी के लिए बढ़े हुए 13 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाई थी। इसी अंतरिम आदेश के तहत बाद में कई अन्य नियुक्तियों में भी रोक लगाई गई थी। यह याचिका 2 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो गई। इसी तरह राज्य शासन ने ओबीसी आरक्षण से जुड़ी करीब 70 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करा ली हैं, जिन पर फैसला आना बाकी है।
source internet… साभार….
Leave a comment