Resentment: शशि थरूर की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर कयासों का दौर जारी है। कांग्रेस से उनकी नाराजगी और उनके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा तेज हो गई है।
थरूर की नाराजगी और कांग्रेस में हाशिए पर जाने की भावना
शशि थरूर ने राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर की, लेकिन उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने संकेत दिए कि उनके पास कांग्रेस के अलावा भी विकल्प हैं। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक बड़ा संदेश है कि अगर उन्हें उचित जगह नहीं मिली तो वे कोई और रास्ता अपना सकते हैं।
भाजपा में जाने की अटकलें खारिज
थरूर ने पीएम मोदी की विदेश नीति की तारीफ की थी, जिससे उनके भाजपा में जाने की अटकलें तेज हुईं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं हैं और सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ हैं। भाजपा भले ही केरल में विस्तार चाहती हो, लेकिन थरूर ने इस संभावना से खुद को दूर कर लिया है।
क्या लेफ्ट का रुख करेंगे?
थरूर ने केरल में पिनराई विजयन सरकार की औद्योगिक नीतियों की तारीफ की थी, जिससे उनके लेफ्ट में जाने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। सीपीआई (एम) के कुछ नेताओं ने भी संकेत दिए हैं कि थरूर का स्वागत होगा। हालांकि, थरूर जैसे वैश्विक दृष्टिकोण वाले नेता के लिए लेफ्ट की संकीर्ण विचारधारा में फिट बैठना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
क्या अपनी पार्टी बनाएंगे?
गुलाम नबी आजाद की तरह थरूर अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। केरल में शहरी क्षेत्रों में उनकी अच्छी पकड़ है, और अगर वे अपनी पार्टी बनाते हैं, तो वे किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, केरल में दो ध्रुवीय राजनीति (एलडीएफ और यूडीएफ) के बीच अपनी जगह बनाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
शशि थरूर फिलहाल कांग्रेस में ही बने रहेंगे, लेकिन अगर पार्टी में उन्हें पर्याप्त महत्व नहीं मिला, तो वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। भाजपा उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाती, लेफ्ट उनके लिए एक संभावित विकल्प है, लेकिन सबसे बड़ा और चुनौतीपूर्ण कदम अपनी पार्टी बनाना हो सकता है। आगे का उनका राजनीतिक भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस उन्हें किस भूमिका में देखती है।
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