बिना योग्य पैथोलॉजिस्ट के संचालित नहीं हो सकेंगी लैब
Tightened screws: बैतूल। जिले में संचालित पैथालाजी लैबों पर अब शिकंजा कसा जा रहा है। कोई लैब नियम विरूद्ध संचालित नहीं हो सकेगी इसको लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला बैतूल द्वारा जिले के सभी निजी नर्सिंग होम, अस्पताल एवं निजी पैथोलॉजी लैब संचालकों को आदेश जारी कर जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। सीएमएचओ डॉ. मनोज हुरमाड़े द्वारा दिए गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि जिले के कई निजी अस्पतालों द्वारा क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट 1973 एवं मध्यप्रदेश पैथोलॉजिस्ट अधिनियम 1997 (संशोधित 2021) के प्रावधानों का पालन किए बिना लैब संचालन किया जा रहा है। कई अस्पतालों में बिना योग्य पैथोलॉजिस्ट की देखरेख के लैब चलाई जा रही हैं, जिससे जांच रिपोर्ट की गुणवत्ता संदिग्ध हो सकती है।
यह दिए निर्देश
सीएमएचओ ने लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि केवल पंजीकृत एवं योग्य पैथोलॉजिस्ट के पर्यवेक्षण में ही किसी भी निजी प्रयोगशाला का संचालन किया जाएगा। यह पैथोलॉजिस्ट मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 की धारा 13(24) के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। पैथोलॉजिस्ट की उपस्थिति के बिना किसी भी प्रकार की पैथोलॉजिकल जांच करना या रिपोर्ट जारी करना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। प्रत्येक निजी अस्पताल में यदि एक से अधिक लैब संचालित हैं, तो सभी लैब की अलग-अलग सूची, संचालक का नाम, एवं कार्यरत पैथोलॉजिस्ट की जानकारी अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाए। ऐसे अस्पताल या लैब जो पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट की देखरेख में कार्य नहीं कर रहे हैं, उन्हें सुधार के लिए दो दिवस की समयसीमा दी गई है।
की जाएगी कार्यवाही
सीएमएचओ ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय में मांगी गई जानकारी प्रस्तुत नहीं की जाती या निरीक्षण के दौरान कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित संस्थान पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया है कि प्रत्येक अस्पताल और लैब अपने सूचना पटल पर योग्य पैथोलॉजिस्ट का नाम एवं पंजीकरण संख्या प्रदर्शित करें। डॉ. हुरमाड़े ने कहा कि बैतूल जिले में बिना योग्य पैथोलॉजिस्ट के कोई भी लैब या जांच केंद्र संचालित नहीं हो सकेगा, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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