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Township: मध्यप्रदेश में लागू हुई एकीकृत टाउनशिप नीति-2025, अब किसान भी बना सकेंगे टाउनशिप

मध्यप्रदेश में लागू हुई एकीकृत

Township: भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने शहरों के नियोजित विकास को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत टाउनशिप नीति-2025 लागू कर दी है। नए प्रावधानों के तहत अब सिर्फ बिल्डर और कालोनाइज़र ही नहीं, बल्कि किसान, किसानों के समूह और निजी व्यक्ति भी लैंड पूलिंग के माध्यम से टाउनशिप का विकास कर सकेंगे। महाराष्ट्र और गुजरात की तर्ज पर यह व्यवस्था मध्य प्रदेश में लागू की गई है।

क्या है नई व्यवस्था

  • ग्रीन बेल्ट जैसे प्रावधानों में छूट दी जाएगी।
  • कुल क्षेत्रफल का 15% हिस्सा अनिवार्य रूप से ईडब्ल्यूएस और एलआईजी आवास के लिए सुरक्षित रखना होगा।
  • डेवलपर या विकासकर्ता विकास प्राधिकरण से भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध कर सकेंगे।
  • सरकारी भूमि आने पर अधिकतम 8 हेक्टेयर तक की छूट दी जाएगी।
  • सभी नियम विकास प्राधिकरण और हाउसिंग प्रोजेक्ट एजेंसियों पर भी लागू होंगे।

टाउनशिप के लिए भूमि की न्यूनतम अर्हता

  • 5 लाख से कम आबादी वाले शहर: 10 हेक्टेयर
  • 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहर: 20 हेक्टेयर
  • 40 हेक्टेयर से अधिक की टाउनशिप: सड़क की चौड़ाई कम से कम 30 मीटर
  • छोटे शहरों में सड़क की न्यूनतम चौड़ाई: 24 मीटर

विकासकर्ताओं के लिए वित्तीय मानक

  • 10-20 हेक्टेयर: नेटवर्थ 5 करोड़, वार्षिक टर्नओवर 6 करोड़
  • 20-40 हेक्टेयर: नेटवर्थ 10 करोड़, टर्नओवर 12 करोड़
  • 40-100 हेक्टेयर: नेटवर्थ 20 करोड़, टर्नओवर 20 करोड़
  • 100-300 हेक्टेयर: नेटवर्थ 50 करोड़, टर्नओवर 40 करोड़
  • 300 हेक्टेयर से अधिक: नेटवर्थ 250 करोड़, टर्नओवर 200 करोड़

अनुमति की प्रक्रिया

  • जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति अनुमति देगी।
  • प्रदेश स्तर पर प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी।
  • आवेदन पर 60 दिन में अनुमति देनी होगी।
  • एक से अधिक आवेदन होने पर ई-बिडिंग प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

यहां लागू नहीं होंगे नियम


वन क्षेत्र, जल निकाय (नदी, नाला, जलाशय, बांध), राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, रक्षा क्षेत्र, छावनी बोर्ड, पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र, खदान-खनन क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र, वन्यजीव गलियारे, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल और ऐसे क्षेत्र जिन्हें शासन प्रतिबंधित घोषित करेगा।

सरकार का उद्देश्य


नई नीति का मकसद शहरों के आसपास भूमि का बेहतर उपयोग करना, किसानों को सीधे विकास में भागीदार बनाना और किफायती आवास को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही लैंड पूलिंग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

साभार…

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