Tradition: बैतूल। धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए विख्यात बैतूल बाजार में आज भी वर्षों पुरानी परंपराएं जीवित हैं। यहां श्री गणेश की आरती विशेष ढंग से संपन्न की जाती है। ढोलक की थाप और मंजीरे की मधुर धुन के बीच गणपति बप्पा की आरती गूंजती है, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
गणेशोत्सव के दौरान बाजार के गणेश मंडलों और मंदिरों में सुबह-शाम आरती का आयोजन किया जाता है। खास बात यह है कि यहां आरती के समय वाद्ययंत्रों का प्रयोग परंपरागत तरीके से किया जाता है। ढोलक और मंजीरे की ताल पर भक्तजन भक्ति गीत गाते हुए गणेश भगवान की स्तुति करते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। आधुनिक वाद्ययंत्रों और ध्वनि प्रसारण साधनों के बढ़ते प्रचलन के बावजूद बैतूल बाजार में ढोलक और मंजीरे की धुन से गणेश आरती करने की परंपरा को संजोकर रखा गया है।
आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर गणपति बप्पा के जयकारे लगाते हैं। उनका मानना है कि पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि भक्तों के मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।
गणेशोत्सव के दौरान बैतूल बाजार का माहौल पूरी तरह धार्मिक रंग में रंगा दिखाई देता है और गणपति बप्पा की भक्ति में डूबा हर भक्त परंपरा के इस अनुपम स्वरूप का हिस्सा बनता है।
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