Vastu Tips – घर में भगवान की मूर्ति को रखने का भी एक नियम होता है। इसकी अनदेखी करने पर पूजा – पाठ का कोई भी लाभ नहीं होता है। और घर के मंदिर में देवी – देवताओं को स्थान देने से पहले यह भी जान ले कि क्या कहता है वास्तुशास्त्र।
हिंदू धर्म में मंदिर और पूजा का महत्व बहुत ही अहम है। शायद ही ऐसा कोई मनुष्य हो जिसकी आस्था भगवान में न हो। भागदौड़ भरी जिंदगी में हर दिन मंदिर जाना संभव न हो सके इसीलिए घरों में पूजाघर बनाकर भगवान को स्थान दिया जाता है, ताकि उनकी कृपा घर – परिवार पर बनी रहे और हमेशा पॉजिटिविटी रहे।
आजकल घरों में बहुत ही खूबसूरत मंदिर बनवाए जाते हैं और उसमें देवी – देवताओं की जड़ाऊ और खूबसूरत प्रतिमा स्थापित की जाती हैं लेकिन इस दौरान कई गलतियां हो जाती हैं, जिनकी वजह से पूजा का शुभ फल मिलता ही नहीं है। कई लोगों को तो ये बात पता तक नहीं होगी कि मंदिर में भगवान की प्रतिमा रखने का भी एक नियम होता है।
इन नियमों की अनदेखी करने पर पूजा – पाठ का कोई फायदा नहीं होता है। घर के मंदिर में देवी – देवताओं को स्थान देने से पहले जान लें ये नियम कि क्या कहता है वास्तुशास्त्र।
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1 – घर की दक्षिण दिशा में कभी भी देवी – देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित नहीं करनी चाहिए इसे बहुत ही अशुभ माना जाता है।
2 – अगर देवी – देवताओं की प्रतिमाएं उत्तर दिशा में स्थापित कर रहे हैं तो उनके नीचे लाल रंग का कपड़ा कभी न बिछाएं, यह बिल्कुल भी शुभ नहीं है।
3 – घर के मंदिर में एक साथ कई देवी – देवताओं की मूर्तियां स्थापित होती हैं जो कि वास्तु के हिसाब से गलत है। मंदिर में एक से ज्यादा प्रतिमा कभी नहीं रखनी चाहिए।
4 – देवी – देवताओं की प्रतिमा घर की पश्चिम दिशा में रखने से भगवान की कृपा नहीं बरसती है। इस बात को ध्यान में रखें।
5 – घर की उत्तर और उत्तर – पूर्व दिशा देवी – देवताओं की प्रतिमा स्थापित करने के लिए बिल्कुल ही अच्छी नहीं मानी जाती है। अगर इसी दिशा में भगवान को बिठाना है तो उनके नीचे हरे और नीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
6 – शालिग्राम की प्रतिमा को घर के मंदिर में रखने की बजाय हमेशा तुलसी के गमले में स्थापित करना चाहिए। तुलसी के साथ इनकी स्थापना शुभ मानी जाती है।
7 – घर के मंदिर में गणपति बप्पा की तीन प्रतिमाएं एक साथ कभी नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने वालों के कामकाज में बिना वजह की बाधाएं आती रहती हैं।
8 – मंदिर के लिए घर की उत्तर – पूर्व दिशा बहुत शुभ मानी गई है। दक्षिण और दक्षिण पश्चिम दिशा पूजा – पाठ के लिए शुभकारी नहीं है, तो इन बातों का खास ध्यान रखें।
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