Accident: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के पुरैना गांव में जेके सीमेंट प्लांट के निर्माणाधीन हिस्से के गिरने से 4 मजदूरों की मौत और 15 के घायल होने की पुष्टि हुई है। हालाँकि, वहाँ काम कर रहे मजदूरों का दावा है कि 170 मजदूरों में से केवल 40-50 ही लौटे हैं, जिससे लापता लोगों की संख्या को लेकर आशंकाएँ बढ़ गई हैं।
कैसे हुआ हादसा?
- 30 जनवरी की सुबह 10 बजे निर्माणाधीन सातवीं मंजिल पर छत की ढलाई का काम चल रहा था।
- स्कैफोल्डिंग (भाड़ा) अचानक गिर गया, जिससे ऊँचाई पर काम कर रहे कई मजदूर नीचे दब गए।
- हादसे की तेज आवाज आई, जिसके बाद प्लांट को घेर लिया गया और किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
मृतकों की पहचान
- अंसार आलम (34 वर्ष) – पूर्णिया, बिहार
- मसूद (36 वर्ष) – पूर्णिया, बिहार
- रोहित खरे (32 वर्ष) – सिमरिया, पन्ना
- मुस्फिर (36 वर्ष) – पूर्णिया, बिहार
मजदूरों का दावा: 50 से ज्यादा लोग मलबे में दबे हो सकते हैं
- बचाव कार्य में लगे मजदूरों का कहना है कि हादसे के समय 170 मजदूर काम पर थे, लेकिन सिर्फ 40-50 लोग ही लौटे।
- 12 मजदूरों को निर्माणाधीन बिल्डिंग के हिस्सों से लटकते हुए देखा गया।
- पुलिस और प्लांट प्रबंधन पर जानकारी छिपाने का आरोप लगाया गया है।
मजदूरों का दर्द और गुस्सा
✔ विकास कुमार (बचाव मजदूर):
“हम 50 लोग सातवीं मंजिल पर काम कर रहे थे। सुबह 10 बजे अचानक स्लैब गिर गया। कुछ साथी मेरे सामने ही दब गए, लेकिन हमें वहां से भगा दिया गया।”
✔ हिमाचल कुमार (मजदूर):
“170 मजदूर अंदर गए थे, लेकिन लौटे सिर्फ 40-50। प्रशासन सच्चाई छिपा रहा है। हम लोग काम करने आते हैं, मरने नहीं।”
✔ मोहम्मद मुन्तजिर:
“मेरे चाचा मसूद आलम मुझे इस प्लांट में काम दिलाने लाए थे, लेकिन आज वो खुद इस हादसे में दबकर मर गए।”
प्रशासन और कंपनी का बयान
- जेके सीमेंट के प्लांट मैनेजर ए.के. सिंह:
- “हादसा सेटरिंग फेल होने की वजह से हुआ।”
- मृतकों के परिजनों को 18-18 लाख रुपए दिए जाएंगे।
- घायलों के इलाज का पूरा खर्च कंपनी उठाएगी।
- एडीशनल एसपी आरती सिंह:
- “एसडीआरएफ की 4 टीमें बचाव कार्य में लगी हैं। मलबे को पूरी तरह नहीं हटाया गया है।”
- “16 घायलों को कटनी भेजा गया, जिनमें से 1 की रास्ते में मौत हो गई।”
- प्रशासन द्वारा मृतकों के शव बिहार भेजने की तैयारी, परिजनों के आने से पहले शव ले जाने पर आपत्ति।
प्रभाव और आगे की कार्रवाई
✅ बचाव कार्य जारी, लापता मजदूरों की संख्या की पुष्टि होना बाकी।
✅ मजदूरों की सुरक्षा में लापरवाही का बड़ा सवाल।
✅ कंपनी और प्रशासन पर मजदूरों के गुस्से का सामना।
✅ मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा, लेकिन लिखित प्रमाण नहीं।
यह हादसा मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अगर मजदूरों का दावा सही है कि 170 में से सिर्फ 40-50 ही लौटे हैं, तो लापता लोगों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है। प्रशासन को पारदर्शी तरीके से जांच करनी चाहिए और लापरवाह अधिकारियों व कंपनी प्रबंधन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
source internet… साभार….
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