राहुल गांधी करेंगे संगठन सृजन अभियान का शुभारंभ
लगातार हार के बाद कांग्रेस ने लिया बड़ा निर्णय
Decision: बैतूल। लगभग 35 वर्षों से लोकसभा चुनाव और लगभग 20 वर्षों से विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस को अपेक्षित सफलताएं नहीं मिल रही है और लगातार कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा है। यही स्थिति निकाय, सहकारिता और पंचायत चुनाव में भी बनी हुई है। जबकि किसी समय में मध्यप्रदेश कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और राष्ट्रीय राजनीति में प्रदेश के सांसदों और विधायकों से कांग्रेस को ताकत मिलती थी। इसी ताकत को दोबारा प्राप्त करने के लिए अब कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी एक और प्रयास करना चाह रहे हैं। इसी कड़ी में संभवत: 5 जून को वे प्रदेश में संगठन सृजन अभियान का शुभारंभ भोपाल से कर सकते हैं।
लगातार कांग्रेस को मिल रही हार
कांग्रेस ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के लोकसभा चुनाव में हत्या से उपजी सहानुभूति के चलते प्रदेश की अधिकांश लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से निरंतर इन चुनाव में कांग्रेस को गिनी-चुनी सीटों पर ही सफलता मिल पा रही है। 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014, 2019 एवं 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश की अधिकांश सीटों पर विजयश्री प्राप्त हो रही है। 2019 में प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को दो और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज इस चुनाव में पराजित हुए। जिनमें नकुलनाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया शामिल है।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने छोड़ साथ
इसी दौर में धीरे-धीरे कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोडक़र भाजपा के साथ जाना ठीक समझा जिससे कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हुई इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी, दीपक सक्सेना, सरताज सिंह प्रमुख नाम रहे हैं। इसी दौर में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस 2003 से 2023 तक हर चुनाव में असफल रही। 2018 अपवाद रहा और कमलनाथ के नेतृत्व में वर्षों बाद कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन 15 महीने में कांग्रेस के 25 विधायकों के विद्रोह के चलते सरकार गिर गई और 2023 के चुनाव में कांग्रेस की और बुरी गत हो गई।
प्रदेश में कांग्रेस की गिरती साख बचाने आ रहे राहुल
जिस तरह से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना वजूद खोते जा रही है उसको देखते हुए राहुल गांधी ने इस चुनाव के बाद नए नेताओं को कांग्रेस के नेताओं को प्रदेश की बागडोर सौंपी। लेकिन अभी भी अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं हो रही है। इसीलिए कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी स्वयं प्रदेश में आकर कार्यक्रम का नेतृत्व करने जा रहे हैं जिससे कांग्रेस की खोई साख वापस आ सके। इस टीम में सांसदों और विधायकों को भी शामिल किया जा रहा है।
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