विस चुनाव के दौरान हुए थे भाजपा में शामिल

Political Review: बैतूल। वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में अपने पुराने राजनैतिक दल को छोडक़र दूसरे दल में शामिल होने को अब दल बदलुओं की श्रेणी में नहीं माना जाता है क्योंकि विशेषकर चुनाव के दौरान सभी दलों में बड़ी संख्या में इस दल से उस दल में जाने का चलन बढ़ गया है। भाजपा ने तो विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालिन गृहमंत्री के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया था जिसमें दूसरे दलों से उन लोगों को भाजपा में शामिल करना था जो भाजपा की विचारधारा से प्रभावित माने जा रहे थे। इसी कड़ी में बैतूल में भी कई बड़े कांग्रेसी भाजपा में शामिल हुए थे।
गुड्डू ने जिलाध्यक्ष रहते छोड़ी थी कांग्रेस

अपने जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के कट्टर समर्थक माने जाने वाले सुनील गुड्डू शर्मा को कई बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद मई 2018 में बैतूल जिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद सौंपा गया था। गुड्डू शर्मा के ही नेतृत्व में 2018 के विधानसभा चुनाव में जिले में पांच में से चार विधानसभाओं में कांग्रेस को सफलता मिली थी। और ऐसी सफलता 1990 के बाद पहली बार प्राप्त हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे गुड्डू शर्मा का सुखदेव पांसे से मतभेद बढ़ता गया और इसके चलते सुखदेव पांसे ने अपनी संपर्कों के माध्यम से जिले में कांग्रेस के दो अध्यक्ष की व्यवस्था बनवा दी जिसमें सुनील शर्मा मात्र बैतूल शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष और हेमंत वागद्रे बैतूल जिला ग्रामीण अध्यक्ष बनाए गए थे। यहीं से कांग्रेस में सुनील शर्मा की उपेक्षा शुरू हुई और 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान सुनील शर्मा को कोई विशेष जिम्मेदारी नहीं मिली। यही टर्निंग पाइंट था कि जिले में कांग्रेस की गुटबाजी के चलते सुनील शर्मा अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। विधानसभा चुनाव हुए लगभग 2 वर्ष हो रहे हैं इस दौरान भाजपा के हर कार्यक्रम में सुनील शर्मा और उनके समर्थकों ने पूरी शिद्दत के साथ सक्रियता से भाग लिया। कुछ दिनों पूर्व जिला भाजपा कार्यकारिणी की घोषणा के समय यह माना जा रहा था कि सुनील शर्मा को स्थान मिल सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ लेकिन आज भाजपा ने जिला संगठन में 30 मंडलों के प्रभारियों की घोषणा की है जिसमें मुलताई विधानसभा के प्रभात पट्टन मंडल का प्रभारी सुनील गुड्डू शर्मा को बनाया गया है।
भाजपा में संगठन का है बड़ा महत्व
कांग्रेस में जहां संगठन विशेषकर जिलाध्यक्ष का पद नाममात्र का रहता है वहीं भाजपा में संगठन के हर पद का विशेष महत्व रहता है। सत्ता में रहते हुए भाजपा संगठन के हर पदाधिकारी को पूरी तवज्जो मिलती है। वहीं संगठन और सत्ता में हर नियुक्ति में जिला भाजपा अध्यक्ष की सहमति अनिवार्य मानी जाती है। यही स्थिति मंडल अध्यक्षों की होती है। अब मंडल प्रभारी का भी अपना महत्व है। इनका मुख्य कार्य उस मंडल में पार्टी की रीति नीतियों एवं पार्टी के कार्यक्रमों का मंडल से लेकर बूथ स्तर तक सही तरीके से संचालन करवाना प्रमुख रहता है। भाजपा द्वारा घोषित 30 मंडल के प्रभारियों में भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी, जिले के प्रमुख भाजपा नेता, वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें सिर्फ सुनील शर्मा ही ऐसे मंडल प्रभारी बने हैं जो नया नाम है। इस तरीके से भाजपा ने कांग्रेस से आने के बावजूद भाजपा में अपनी सक्रियता के चलते सुनील शर्मा को भी यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। पट्टन मंडल का प्रभारी बनाए जाने को लेकर राजनैतिक हल्कों में यह चर्चा है कि सुखदेव पांसे के गृह क्षेत्र में सुनील शर्मा को भाजपा ने जानबुझकर मंडल प्रभारी बनाया है और एक तीर से कई शिकार करने का प्रयास किया है। ऐसा माना जा रहा है कि सुनील शर्मा 2023 के दौरान अपनी उपेक्षा का बदला पट्टन भाजपा मंडल में सक्रियता से कार्य कर ले सकते हैं।
सुनीता बेले को भी मिली जिम्मेदारी

1 मार्च 2000 से 4 दिसम्बर 2003 तक कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद संभाल चुकी श्रीमती सुनीता बेले को इसी दौरान आमला विधानसभा सीट से कांग्रेस ने 2003 के विधानसभा चुनाव में टिकट दी और वे चुनाव जीत गई। इसके बाद इस सीट से आज तक कांग्रेस सफल नहीं हुई। 2008 और 2013 में भाजपा के चैतराम मानेकर तथा 2018 और 2023 में भाजपा के ही डॉ. योगेश पंडाग्रे विधायक बने हैं। सुनीता बेले 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गई थीं। अब भाजपा ने सुनीता बेले को भी सुनील शर्मा की तरह भाजपा में प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी है और जिला कार्यकारिणी में जिला मंत्री का पद दिया गया है। सुनीता बेले को मिली इस जिम्मेदारी को लेकर राजनैतिक हल्को में यह चर्चा है कि 3 साल बाद भाजपा इन्हें और बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
Leave a comment