Region: भोपाल। नगरीय प्रशासन संचालनालय ने राजधानी को मेट्रोपॉलिटन रीजन (MPR) के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। संचालनालय ने नगर निगम आयुक्त को पत्र जारी कर इंजीनियरों की सूची तैयार करने को कहा है, ताकि उन्हें मेट्रोपॉलिटन रीजन की नई संरचना के अनुरूप जिम्मेदारियां सौंपी जा सकें।
चार हिस्सों में बंटेगा बिल्डिंग परमिशन सिस्टम
- MPR के लिए चार बिल्डिंग परमिशन सेल बनाए जाएंगे।
- सिविल केडर से चार सिटी प्लानर नियुक्त होंगे।
- सीवेज, पार्किंग, सड़क, ट्रैफिक और लाइटिंग जैसे कार्यों के लिए अलग-अलग कार्यपालन यंत्री जिम्मेदार होंगे।
- इन कार्यपालन यंत्रियों के निर्देशन में संबंधित इंजीनियरों की टीम काम करेगी।
वर्तमान व्यवस्था में खामियां
- अभी नगर निगम 85 वार्डों में “कामचलाऊ व्यवस्था” पर टिका है।
- एक ही इंजीनियर पर कई विभागों की जिम्मेदारी छोड़ दी गई है।
- विभागीय बदलाव में योग्यता और विशेषज्ञता का ध्यान नहीं रखा गया।
- वर्षों से एक विभाग में काम करने वाले इंजीनियरों को अचानक अन्य विभागों का प्रभार दे दिया गया है।
उदाहरण
- आरके त्रिवेदी (विद्युत उपयंत्री) को प्रभारी कार्यपालन यंत्री, सीवेज एवं एसबीएम शाखा बनाया गया।
- अजय मालवीय (उपयंत्री मैकेनिकल) को प्रभारी कार्यपालन यंत्री जलकार्य की जिम्मेदारी दी गई।
- सिविल इंजीनियर सुरेश कुमार राजेश को हुजूर विधानसभा क्षेत्र में बिजली प्रभार सौंपा गया।
- एनके डेहरिया, सिविल इंजीनियर होते हुए भी भवन अनुज्ञा शाखा में सहायक यंत्री का कार्य कर रहे हैं।
- अनिल कुमार साहनी, सिविल इंजीनियर को भी अलग विभागों में जिम्मेदारी दी गई है।
नई संरचना लागू होने के बाद उम्मीद है कि इंजीनियरों की विशेषज्ञता के अनुसार जिम्मेदारी तय होगी और बिल्डिंग परमिशन सहित अन्य विकास कार्य व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ सकेंगे।
साभार..
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