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Black Turmeric – काली हल्दी की खेती के लिए आवश्यक है भुरभुरी और दोमट मिट्टी

अगर आप अमीर बनना चाहते है तो काली हल्दी की खेती करें कीमत जानकर आप हो जाएगें आश्चर्यचकित

Black Turmericयदि आप सचमूच ही धनवान बनना चाहते है तो इस काली हल्दी की खेती करें तो आप को इसके उत्पादन में ज्यादा लाभ भी होगा ओर इसकी खेती से आपको लाखों रूपए का भी फायदा होगा। काली हल्दी की खेती में आपको बहुत कम सिंचाई करनी पड़ेगी। एक एकड़ में खेती करने पर आपको 50 से 60 क्विंटल कच्ची हल्दी का उत्पादन मिलेगा।

डाक्टर भी सलाह देते है काली हल्दी के खाने का | Black Turmeric

लोगों को यह भी लगता है कि हल्दी सिर्फ पीली ही होती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है। हल्दी काली भी होती है। इसमें पीली हल्दी के मुकाबले में अधिक पोशक तत्व और विटामिन पाए जाते हैं। काली हल्दी में एंटी इंफ्लेमेट्री और एंटी ऑक्सीडेंट्स के भी गुण मौजूद होते हैं।

ऐसे में इसका इस्तेमाल करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि डाक्टर भी इस हल्दी को रोज खाने की सलाह देते हैं। ऐसे भी पीली हल्दी के मुकाबले इसका रेट बहुत ज्यादा होता है। अगर किसान भाई काली हल्दी की खेती करते हैं, तो अच्छी खासी कमाई भी कर सकते हैं।

काली हल्दी की खेती के लिए पानी का कम उपयोग करना चाहिए

अभी बाजार में काली हल्दी का रेट 500 रुपये किलो से लेकर 5000 रुपये किलो तक है। काली हल्दी की खेती के लिए भुरभुरी दोमट मिट्टी बेहतर होती है। अगर आप इसकी खेती करने का प्लान बना रहे हैं, तो सबसे पहले ऐसे खेत का चुनाव करें, जहां पर जलभराव नहीं होता हो।

क्योंकि काली हल्दी की फसल पानी को बिल्कुल सहन नहीं कर पाती है। खेत में जलभराव होने पर हल्दी की फसल को भारी नुकसान पहुंच सकता है। अगर आप एक हेक्टेयर में काली हल्दी की खेती करेंगे, तो आपको 2 क्विंटल बीज की जरूरत पड़ेगी।

किसान भाई काली हल्दी से लाखों रूपए कमा सकते है | Black Turmeric

काली हल्दी की खेती करने पर आपको बहुत कम सिंचाई करनी पड़ेगी। एक एकड़ में खेती करने पर आपको 50 से 60 क्विंटल कच्ची हल्दी का उत्पादन मिलेगा। वहीं, एक एकड़ से 10 से 12 क्विंटल तक सूखी हल्दी की पैदावार मिलेगी। ऐसे में किसान भाई काली हल्दी बेचकर लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं।

काली हल्दी का उपयोग ज्यादातर आयुर्वेदिक दवाइयां मे किया जाता हैं

काली हल्दी की खेती मध्य प्रदेश के साथ – साथ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भी काली हल्दी की खेती जाती है। मणिपुर में कई जनजातियों के लिए काली हल्दी पूजनीय फसल है। वे इसका अधिकतर उपयोग दवाइयां बनाने में करते हैं। वे इससे पेस्ट तैयार कर सांप और बिच्छू की दवाई बनाते हैं।

साथ ही काली हल्दी में लोकोमोटर डिप्रेसेंट, एंटीकॉन्वेलसेंट, ऐंटिफंगल, एंटी अस्थमा, एंटीऑक्सिडेंट, एनाल्जेसिक, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-अल्सर और मांसपेशियों को आराम देने वाले गुण भी पाए जाते हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक दवाइयां भी इससे तैयार की जाती हैं।

Source – Internet

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